Edited By Ramkesh,Updated: 05 Jan, 2021 08:36 PM
आम आदमी पार्टी(आप) के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि देश के किसान काले कानूनों के खिलाफ आंदोलित होकर जान दे रहे हैं और केंद्र की भाजपा सरकार उनके साथ दुश्मन देश के नागरिकों जैसा व्यवहार कर रही है
लखनऊ: आम आदमी पार्टी(आप) के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि देश के किसान काले कानूनों के खिलाफ आंदोलित होकर जान दे रहे हैं और केंद्र की भाजपा सरकार उनके साथ दुश्मन देश के नागरिकों जैसा व्यवहार कर रही है। सिंह ने कहा कि किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं और उन्हें लाठियों से पीटा जा रहा है। किसानों को अपमानित करने के लिए आतंकवादी, खालिस्तानी, पाकिस्तानी और चीन से मिले होने का आरोप लगा रहे हैं। मोदी सरकार किसानों के धैर्य की परीक्षा न ले और यह काला कानून वापस ले।
उन्होंंने कहा अगर किसानों का आक्रोश फूटेगा, तो सरकार को बहुत गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। आप सांसद ने कहा कि देश का किसान बड़ी उम्मीदों के साथ मोदी सरकार की ओर देख रहा था कि शायद कल की वार्ता अंतिम वार्ता होगी। किसानों को उम्मीद थी कि यह काला कानून वापस ले लिया जाएगा। इस बिल के लिए पूरा देश आंदोलित है, जिसमें 60 किसानों ने अपनी शहादत दी है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का किसान अपनी जान दे रहा है। उन किसानों के साथ सरकार, दुश्मन देश के नागरिकों जैसा व्यवहार कर रही है। उन्होंने कहा कि इस देश के अन्नदाता के ऊपर दो दिन पहले मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने आंसू गैस के गोले बरसाए। किसानों के ऊपर मिर्ची पाउडर के गोले छोड़े जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि किसी दुश्मन देश के नागरिकों के साथ युद्ध लड़ा जा रहा है। ऐसा लगता है कि ऊपर से लेकर नीचे तक जनरल डायर का शासन आ चुका है। जिस तरह से जनरल डायर ने गोलियां चलवा कर पंजाब के हमारे भाइयों की जान ली थी, उसी तरह का द्दश्य देखने को मिल रहा है।
सिंह ने कहा कि सरकार क्या यह चाहती है कि पूरे देश के किसान मरने के लिए लाइन में खड़े हो जाएं? क्या तब आपकी कुंभकरण की नींद खुलेगी? लोकसभा और राज्यसभा में इस बिल का विरोध हुआ, सड़क पर इसका विरोध हो रहा है। धोखे से इस बिल को पास किया गया। संसद में इस पर चर्चा तक नहीं की गई। उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी द्दढ़ संकल्प लिया है कि संसद से लेकर सड़क तक, सेवादार से लेकर सांसद, विधायक और एक-एक कार्यकर्ता तक, हम लोग किसानों का साथ देंगे। कल बड़ी उम्मीद थी कि शायद सरकार इस काले कानून को वापस लेने के बारे में सोचेगी। लेकिन सरकार ने इस उम्मीद पर एक बार फिर पानी फेर दिया। कहने के लिए यह 130 करोड़ लोगों की सरकार है, लेकिन दरअसल यह अडानी की गुलाम सरकार है। गुलाम सरकार को जब तक मालिक कुछ नहीं कहेंगे, तब तक यह सरकार किसानों की सुनने वाली नहीं है।