Edited By Ruby,Updated: 12 Jun, 2018 07:24 PM
रालोद के महासचिव त्रिलोक त्यागी ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करने वाली केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार असल में उद्योगपतियों का हित साधने के लिए अन्नदाताओं को बरगला रही है। त्यागी ने मंगलवार को यहां पत्रकारों से कहा कि किसानों की आय को...
लखनऊः रालोद के महासचिव त्रिलोक त्यागी ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करने वाली केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार असल में उद्योगपतियों का हित साधने के लिए अन्नदाताओं को बरगला रही है। त्यागी ने मंगलवार को यहां पत्रकारों से कहा कि किसानों की आय को दोगुनी करने की बात करने वाली केन्द्र की मोदी सरकार वास्तव में उद्योगपतियों के हित साधने में लगी है क्योंकि अगले साल होने वाले चुनाव में ये उद्योगपति ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को चंदा देकर मदद करेंगे।
देश का अन्नदाता आज भी गरीबी और मुफलिसी का शिकार है जिसके कारण समाज का अतिमहत्वपूर्ण यह तबका आत्महत्या करने तक को विवश है। उन्होने कहा कि किसानों के लिए सात हजार करोड़ रूपए के पैकेज की केन्द्र सरकार की घोषणा महज छलावा है। गन्ना किसान के नाम पर आवंटित यह पैसा पहले की तरह अधिकारियों और मिल मालिकों के बीच बंदरबांट का शिकार हो जाएगा। किसानों के नाम पर दी जा रही सब्सिडी वास्तव में मिल मालिकों को दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि देश के किसानों का करीब 22 हजार करोड़़ रूपये गन्ना मूल्य भुगतान के लिये आज भी बकाया है जिसमें लगभग 12 हजार करोड़ रूपये का बकाया उत्तर प्रदेश के किसानों का है। रालोद नेता ने कहा कि पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज राज्यपाल रामनाईक से मुलाकात कर एक ज्ञापन दिया और उनसे किसानों के बकाये के भुगतान के मसले में हस्तक्षेप करने की गुजारिश के साथ ही विभिन्न मांगों पर योगी सरकार पर दवाब बनाने की अपील की गई। इस मामले में बुधवार को रालोद कार्यकर्ता जिला मुख्यालयों का घेराव करेंगे।
त्यागी ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के चलते प्रदेश में गन्ने का रकबा घट गया है। सरकार ने मिल मालिकों का दो साल का ब्याज माफ कर दिया जबकि उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान नही किया बल्कि उनको बकाये का तीन साल से ब्याज भी नहीं दिया। किसान हर साल अच्छी उपज के लिए खाद वगैरह नकद खरीदता है जबकि उसे गन्ने मूल्य के बकाये का भुगतान तक नही किया जाता।
रालोद महासचिव ने कहा कि उनकी पार्टी की मांग है कि सरकार गन्ना किसानों का बकाया मूल्य भुगतान अपनी गारंटी पर तुरंत कराये। गन्ना मूल्य बकाया पर ब्याज की धनराशि का भुगतान अविलंब कराया जाये। निजी हाथों में बेची गयी गन्ना मिलों को सरकार अपने कब्जे में लेकर चालू कराये। केन्द्र सरकार आलू पर आयात शुल्क बढाकर पहले की तरह 20 प्रतिशत करे और आलू निर्यात को प्रोत्साहन दिया जाए।