Edited By Anil Kapoor,Updated: 05 Jul, 2019 08:40 AM
बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने मध्यप्रदेश की मौजूदा कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि राज्य में भले ही नई सरकार आ गई है लेकिन गरीबों, मजदूरों, किसानों, बेरोजगार युवाओं और महिलाओं के साथ-साथ दलितों, पिछड़ों के जीवन में भी कोई बेहतरी नहीं आई...
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने मध्यप्रदेश की मौजूदा कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि राज्य में भले ही नई सरकार आ गई है लेकिन गरीबों, मजदूरों, किसानों, बेरोजगार युवाओं और महिलाओं के साथ-साथ दलितों, पिछड़ों के जीवन में भी कोई बेहतरी नहीं आई है। बसपा ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश में अभी भी भाजपा शासित राज्यों की तरह जातिवादी और साम्प्रदायिक घटनाएं जारी हैं।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने मध्यप्रदेश में पार्टी गतिविधियों की समीक्षा की और संगठन को और चुस्त-दुरुस्त करने के लिए उसमें जरुरी फेरबदल किए। यहां बसपा उत्तर प्रदेश राज्य इकाई कार्यालय में आयोजित बैठक में मध्यप्रदेश से पार्टी के सभी वरिष्ठ व प्रमुख पदाधिकारियों ने भाग लिया और मंडलवार समीक्षा रिपोर्ट पार्टी प्रमुख को पेश की। पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई है कि भले ही मध्यप्रदेश में अब भाजपा के स्थान पर कांग्रेस की नयी सरकार बन गई हो, लेकिन गरीबों, मजदूरों, किसानों, बेरोजगार युवाओं और महिलाओं के साथ-साथ दलितों, पिछड़ों के जीवन में भी कोई बेहतरी नहीं आई है।
बयान के अनुसार इसमें कहा गया है कि वहां भाजपा शासित राज्यों की तरह ही जातिवादी व साम्प्रदायिक घटनायें अभी भी लगातार जारी हैं। खासकर इन्दौर से भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय द्वारा खुलेआम कानून को हाथ में लेने के साथ-साथ सरकारी कर्मचारी/अधिकारियों से मारपीट की घटना आज पूरे देश में चर्चा का विषय है। इतना ही नहीं बल्कि जेल से ज़मानत पर रिहाई के बाद भाजपा नेताओं ने जिस प्रकार से विधायक की आवभगत करके सम्मानित किया उससे पूरा देश स्तब्ध है और इसकी कड़ी-निन्दा कर रहा है।
इस सम्बंध में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वक्तव्य कितना प्रभावी होगा, यह आगे देखने वाली बात होगी। इस अवसर पर मायावती ने पार्टी संगठन में आवश्यक फेरबदल करते हुए कहा कि कांग्रेस व भाजपा की धन्नासेठ-समर्थित सरकारों में ख़ासकर गरीबों, मजदूरों, किसानों, युवाओं, महिलाओं व उपेक्षित वर्गों आदि की हालत आज तक नहीं सुधर पाई और ना ही आगे सुधार की कोई उम्मीद इनसे की जानी चाहिए।