Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Sep, 2017 02:05 PM
भले ही योगी सरकार प्रदेश में भ्रष्टाचार विहीन कार्यशैली तैयार कर रही हो, लेकिन अधिकारियों में आय से अधिक पैसा पाने की ललक खत्म नहीं हुई है। जिसकी बानगी ...
प्रतापगढ़ः भले ही योगी सरकार प्रदेश में भ्रष्टाचार विहीन कार्यशैली तैयार कर रही हो, लेकिन अधिकारियों में आय से अधिक पैसा पाने की ललक खत्म नहीं हुई है। जिसकी बानगी प्रतापगढ़ में देखने को मिली है। जहां एक विधवा पिछले 10 सालों से सरकारी आवास के लिए दर-दर भटक रही है। लेकिन अधिकारी है कि जब तक हथेली पर पैसा नहीं आएगा काम आगे नहीं बढाएंगे। एेसा इस पीड़ित महिला का नगर पालिका के बाबू पर आरोप है।
आवास की पत्रावली विभाग से गायब
दरअसल मामला नगर कोतवाली के चिलबिला इलाके का है। जहां कई सालों से नगर पालिका में अपने आवास का खारिज दाखिल कराने को महिला दौड़ लगा रही है। लेकिन नगर पालिका से उसे आज तक न्याय नहीं मिल सका है।
10 सालों से काट रही सरकारी दफ्तरों के चक्कर
बता दें कि चिलबिला इलाके की रहने वाली सन्नो देवी का आवास नगर पालिका के पेपर में दर्ज था, लेकिन 2006 में प्रशासक के आदेश से उसके ससुर का नाम काट दिया गया। जिसकी शिकायत की तो फिर से अभिलेखों में आवास वापस आ गया। इसी बीच उसके ससुर की मृत्यु हो गई। पीड़ित महिला के नाम आवास का खारिज दाखिल नियमानुसार होना चाहिए था, लेकिन महिला अपने ससुर का आवास अपने नाम करने को 10 सालों से नगर पालिका के चक्कर काट रही है।
10 हजार रुपए मांग रहा सरकारी बाबू
महिला ने आरोप लगाया है कि नगर पालिका के बाबू 10 हजार रुपए की मांग कर रहे हैं। समाजसेवी रोशन लाल और उसका सभासद भाई श्याम बाबु और पिता शंकरलाल इलाके के दबंग लोग है। इनके प्रभाव के चलते आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। इस बारे में ईओ नगर पालिका ने बताया कि विवाद कई सालों से चल रहा है। मामले की जांच कराई जाएगी और जो दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।