Edited By ruby,Updated: 02 Apr, 2018 12:28 PM
एस.सी./एस.टी. एक्ट संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित समाज ने 2 अप्रैल को भारत बंद का ऐलान किया है। संगठनों ने भारत बंद को सफल बनाने के लिए जगह-जगह लोगों से इसमें शामिल होने का आह्वान किया है। वहीं प्रशासन ने किसी भी स्थिति से निपटने के...
गाजियाबादः एस.सी./एस.टी. एक्ट संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलित समाज ने 2 अप्रैल को भारत बंद का ऐलान किया है। संगठनों ने भारत बंद को सफल बनाने के लिए जगह-जगह लोगों से इसमें शामिल होने का आह्वान किया है। वहीं प्रशासन ने किसी भी स्थिति से निपटने के लिए चौकसी कड़ी कर दी गई है। इसी बीच उत्तर प्रदेश के कई जिलों में प्रदर्शनकारियों द्वारा आगजनी और तोड़फोड़ करने का मामला सामने आया है।
वहीं गाजियाबाद में भी प्रदर्शनकारियों द्वारा उग्र प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। जिले के गौशाला फाटक के पास ट्रैक पर भीड़ ने पुलिस की लेपड बाइक को आग के हवाले कर दिया है। जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए लाठी चार्ज भी किया।
क्या है एससी-एसटी एक्ट?
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989 को 11 सितम्बर, 1989 को संसद में पारित किया गया था। 30 जनवरी, 1990 को इस कानून को जम्मू-कश्मीर छोड़ पूरे देश में लागू किया गया। एक्ट के मुताबिक कोई भी ऐसा व्यक्ति जो कि एससी-एसटी से संबंध नहीं रखता हो, अगर अनुसूचित जाति या जनजाति को किसी भी तरह से प्रताड़ित करता है तो उस पर कार्रवाई होगी। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के तहत आरोप लगने वाले व्यक्ति को तुरंत गिरफ्तार किया जाएगा। जुर्म साबित होने पर आरोपी को एससी-एसटी एक्ट के अलावा आईपीसी की धारा के तहत भी सजा मिलती है। आईपीसी की सजा के अलावा एससी-एसटी एक्ट में अलग से छह महीने से लेकर उम्रकैद तक की सजा के साथ जुर्माने की व्यवस्था भी है। अगर अपराध किसी सरकारी अधिकारी ने किया है, तो आईपीसी के अलावा उसे इस कानून के तहत 6 महीने से लेकर एक साल की सजा होती है।