Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 15 Jan, 2021 11:26 AM
ब्रिटेन में फैले कोरोना वायरस के नए स्वरूप की चुनौतियों का सामना करने के लिए लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) ने कदम आगे बढ़ाते हुए ‘जीन सीक्वेंसिंग...
लखनऊ: ब्रिटेन में फैले कोरोना वायरस के नए स्वरूप की चुनौतियों का सामना करने के लिए लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) ने कदम आगे बढ़ाते हुए ‘जीन सीक्वेंसिंग' की जांच शुरू कर दी है। केजीएमयू में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉक्टर अमिता जैन ने बताया केजीएमयू के साथ ही वाराणसी के बीएचयू, लखनऊ के सीडीआरआई और एनबीआरआई में भी जल्द ‘जीन सीक्वेंसिंग' की जांच शुरू की जाएगी।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में अभी तक ‘जीन सीक्वेंसिंग' जांच के लिए नमूने को पुणे भेजा जाता था लेकिन अब प्रदेश में जांच शुरू होने से प्रदेश के बाहर नमूने नहीं भेजने पड़ेंगे। अमिता ने बताया कि विदेश से आने वाले यात्रियों का पहले आरटीपीसीआर जांच की जा रही है। कोरोना वायरस संक्रमित पाए जाने पर उन्हें कोविड-19 अस्पताल में अलग वार्ड में भर्ती किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही मरीज में वायरस का कौन सा स्वरूप मौजूद है, इसकी जांच के लिए ‘जीन सीक्वेंसिंग' की जांच को अनिवार्य किया गया है।
उन्होंने बताया कि केजीएमयू की ‘जीन सीक्वेंसर' मशीन से कोरोना वायरस संक्रमित 10 मरीजों की सफलतापूर्वक जांच की गई जिसमें एक में भी कोरोना वायरस के नए स्वरूप की मौजूदगी नहीं पाई गई। उन्होंने बताया, ‘‘अभी अस्पताल में मौजूद री-एजेंट अभिकर्मक के जरिए जांच की जा रही हैं। जल्द ही मशीन के लिए जरूरी री-एजेंट अभिकर्मक किट खरीदने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी जिससे तेजी से जांचें हो सकेंगी। इस जांच से सिर्फ वायरस के स्ट्रेन की पड़ताल की जाएगी। इसके लिए लैब में कोरोना वायरस के मरीजों के नमूने बिना किसी क्रम के लिए जाएंगे।''