वन विभाग ने जारी किया गांव खाली करने का तुगलकी फरमान, ग्रामीणाें ने कहा-जान ले लाे तब भी नहीं छाेड़े

Edited By Ruby,Updated: 09 Apr, 2018 02:37 PM

forest department declares eviction of villagers for years

उत्तर प्रदेश के महराजगंज में निचलौल ब्लॉक अंतर्गत ग्राम सभा कलनही और चन्दा गुलरभार में वन विभाग ने ग्रामीणों को एक फरमान सुना दिया है। फरमान में ग्रमीणों को गांव छोड़ का अादेश दिया गया है। जिसके बाद लामबंद ग्रामीणों का कहना है कि हमारी जान लेलो पर...

महराजगंजः उत्तर प्रदेश के महराजगंज में निचलौल ब्लॉक अंतर्गत ग्राम सभा कलनही और चन्दा गुलरभार में वन विभाग ने ग्रामीणों को एक फरमान सुना दिया है। फरमान में ग्रमीणों को गांव छोड़ का अादेश दिया गया है। जिसके बाद लामबंद ग्रामीणों का कहना है कि हमारी जान लेलो पर हम गांव नहीं छोड़ेगें।

जानिए पूरा मामला 
दरअसल वन विभाग ने उपरोक्त गावों के सभी लोगों को पहले नोटिस दिया था। जिसके बाद बकायदा रेवन्यू व पुलिस की सहयोग से गांव में मुनादी लगा कर गांव खाली करने का फरमान जारी किया। ग्रामीणों ने पहले तो स्थानीय प्रशासन से 70 वर्षो से यहां रहने के बाद अचानक इस फरमान का विरोध दर्ज कराया। इसके बाद जिला प्रशासन ने न्यायालय का आदेश होने की बात कही जिसके बाद ग्रामीणों ने कुछ और मोहलत मांगी। 
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ग्रामीणों ने वन विभाग के विरुद्ध खोला मोर्चा
इन सब के बाद ग्रामीणों को न्यायालय जाने का रास्ता सूझा दिया जिसके बाद ग्रामीणों ने उक्त गांव में वन विभाग के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। वहीं अचानक से आए इस फरमान के विरुद्ध मीडिया भी लामबंद हो गए। पर हैरानी की बात तो यह है की उक्त गांव में स्कूल से लेकर कच्ची-पक्की इमारते तक बन चुकी हैं। गांव पंचायत घोषित हो चुका है। राजस्व गांव का दर्जा भी प्राप्त है सरकारी धन के साथ निजी धन का भी खूब उपयोग हुआ है पर न तब वन विभाग जगा, न ही जिला प्रशासन ने रोका। जिसके बाद गांव बसा पर आज ऐसा फरमान आया जिसे सुन ग्रामीण बेहद परेशान हैं।
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तीन पीढ़ियों से स्थापित गांव
वहीं ग्रामप्रधानपति अवधराज ने कहा कि इस गांव में हम लोग 1954 यानी तीन पीढ़ियों से है। वर्षों पहले सरकार ने खुद इस गांव को बसाया था पर जब से सरकारी फरमान जारी हुआ है तब से गांव के सभी लोग बेहद परेशान हैं। अवधराज ने कहा कि एक तरफ माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वनटांगिया लोगों को जमीन पट्टे पर देकर उनकी जिंदगी सवार रहे हैं तो फिर हमें क्यों उजाड़ा जा रहा है। हमारे साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों। 
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क्या कहना है वनाधिकारी का 
वहीं प्रभागीय वनाधिकारी मनीष सिंह का कहा है कि हमारे रिकार्ड्स में गांव आरक्षित भूमि पर स्थापित है तो उसको खाली कराया जाना आवश्यक है। इसी नियम के तहत हम लोगों ने गांव खाली कराने के लिए नोटिस भेजा है।

खैर सोचने की बात तो यह है कि जब 3 पीढ़ियों से ये गांव बसा हुआ है तब पहले प्रशासन क्यों नहीं जगा अब अचानक से इस फरमान से ग्रामीणों को परेशान होना लाजमी है। 

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