जान हथेली पर लेकर 20 साल से सिंचाई विभाग की भारी मशीनें चला रहे हैं ग्रामीण

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 16 Jun, 2019 05:25 PM

for 20 years we have been running heavy machinery

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के सिंचाई विभाग का लघु डाल नहर (लिफ्ट कैनाल) उपविभाग बीस साल से शासन की उपेक्षा का दंश झेल रहा है। विभाग में सिंचाई मशीनो के संचालन के लिये आपरेटर, हेल्पर और चपरासी समेत 45 कर्मचारी की नियुक्तियां नही की गयी है, लिहाजा...

हमीरपुरः उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के सिंचाई विभाग का लघु डाल नहर (लिफ्ट कैनाल) उपविभाग बीस साल से शासन की उपेक्षा का दंश झेल रहा है। विभाग में सिंचाई मशीनो के संचालन के लिये आपरेटर, हेल्पर और चपरासी समेत 45 कर्मचारी की नियुक्तियां नही की गयी है, लिहाजा बीस साल से यह काम गांव के अप्रशिक्षित लोग कर रहे है जिससे हर समय उनके जीवन पर खतरा मंडराता रहता है।

विभाग के अधिशासी अभियंता एसके त्रिवेदी ने रविवार को बताया कि जिले में यमुना व बेतवा नदी से मेरापुर, रमेड़ी, सुरौली, सहुरापुर, सहिजना, पत्यौरा, छानी, बैजेमऊ, भौली, विलौटा आदि 10 नहरों से मशीनों से पानी लिफ्ट कर करीब डेढ़ हजार हेक्टेएअर भूमि की सिचाई की जाती है। इन नहरों में बोट यान नावों मे मशीन रखकर मोटर के जरिये पाइप लाइन से खेतो में सिचाई की जाती है जिसमें हर कैनाल पर नियमानुसार एक हेल्पर, एक आपरेटर, एक चपरासी का होना अनिवार्य होता है ताकि कैनाल का संचालन सुचारु रुप से किया जा सके।

अधिशासी अभियंता ने बताया कि कर्मचारियों की नियुक्ति के लिये हर साल शासन को अवगत कराया जाता है मगर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुयी है। लिहाजा जिस गांव के पास कैनाल स्थित होती है उसी गांव के लोगों को मशीनों का संचालन के लिये नियुक्त कर दिया जाता है ताकि वह मशीनों की देखभाल करने के साथ उसका संचालन करता रहे। यह क्रम करीब बीस वर्षों से चल रहा है।

यह सभी मशीने हाई वोल्टेज से संचालित होती है इसलिए इस काम को किसी प्रशिक्षित व्यक्ति को ही करना चाहिए लेकिन मजबूरीवश प्राइवेट लोगों से यह काम लेना पड़ता है। इतने वर्षों से मजबूरी में ही सही लगातार भारी मशीनों को चलाने का काम करने के कारण ग्रामीण इस काम में पूरी तरह से पारंगत हो गये हैं। ग्रामीण इस काम को करते करते इतने कुशल हो गये है कि उन्हे मशीन चलाने व बार्ज को सही दिशा में रखने में कोई दिक्कत नही आती है।

उन्होंने बताया कि शासन ने अभी हाल ही में करीब तीन नावे(बोट) प्रदान की गयी है जिनकी कीमत लाखो रुपये बतायी जाती है इसी प्रकार पानी लिफ्ट करने के लिये बार्ज भी नये दिये जा रहे है। शासन विभाग की मशीनरी को तो मजबूत करता जा रहा है मगर फील्ड में काम करने वाले कर्मियो को नियुक्त नही कर रहा है जिससे सिचाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पानी को लिफ्ट करने में असली काम बार्ज नामक मशीनरी का होता है जब कोई बार्ज खराब हो जाता है तो उसे ठीक करनेे के लिये बाहर से मिस्त्री को भेजना पड़ता है जब कि विभाग में मिस्त्री की नियुक्ति होनी चाहिये मगर वे पद भी खाली पड़े हुये है।

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