Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 21 Jul, 2022 06:38 PM
उत्तर प्रदेश बरेली में अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF) का पहला मामला सामने आने के बाद पशुपालकों में हड़कंप मच गया है। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) ने एक सुअर की संदिग्ध बीमारी से मौ...
बरेली: उत्तर प्रदेश बरेली में अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF) का पहला मामला सामने आने के बाद पशुपालकों में हड़कंप मच गया है। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) ने एक सुअर की संदिग्ध बीमारी से मौत के बाद सैंपल की जांच की थी जिसकी एएसएफ आरटीपीसीआर पॉजिटिव आई है। आईवीआरआई ने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) को पत्र जारी कर अलर्ट के लिए कहा है।
आईवीआरआई बरेली कैडरेट के संयुक्त निदेशक डॉ. केपी सिंह ने गुरूवार को बताया कि मिजोरम, त्रिपुरा और असम के बाद बरेली में एएसएफ का पहला मामला सामने आया है। कुछ दिन पूर्व बरेली जिले के नवाबगंज तहसील के भड़सर डांडिया गांव निवासी पशु पालक डॉ. अनिल कुमार के सुअर को तेज बुखार आया था। उसने खाना पीना छोड़ दिया। बेहद कमजोर हो गया. उसका इलाज भी कराया गया, लेकिन दवा का कोई असर नहीं हुआ। उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। पशुपालक ने मृत सुअर का सैंपल लेकर आइवीआरआई में जांच को भेजा था, इसमें अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई है। इसके बाद आइवीआरआई ने गांव में एक टीम भेजने का फैसला लिया गया है।
डॉ. सिंह ने बताया कि आइवीआरआई टीम सुअरों में संक्रमण जांच करेगी। इसके साथ ही पशुपालकों को ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत क्वारंटीन की सलाह देगी। आईवीआरआई ने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी (सीवीओ) बरेली को भी पत्र भेजा गया है, इसमें एडवाइजरी जारी करने के लिए कहा गया है। आईवीआरआई की ओर से कहा गया है कि जिस इलाके में संक्रमण की पुष्टि होती है। उसका एक किलोमीटर का इलाका संक्रमित जोन घोषित कर दिया जाता है। डॉ. सिंह ने बताया कि आईवीआरआई इस बीमारी की वैक्सीन बनाने में जुटा है। उन्होंने बताया कि आईवीआरआई ने सुअर का मांस खाने पर भी रोक लगाने की बात कही है। इस संक्रमण से इंसानों को खतरा नहीं है। मगर जो पशुपालक या कर्मचारी सुअर के संपर्क में आते हैं तो उससे दूसरे पशुओं में फैल सकता है. यह वायरस पहली बार 1920 में अफ्रीका के पशुओं में दिखाई पड़ा था।