Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 02 Apr, 2020 04:53 PM
कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते देशव्यापी लाकडाउन का पालन करने और सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंस) बनाये रखने की हिदायत देते हुये देवबंदी विचारधारा के केंद्र दारूल उलूम देवबंद ने गुरूवार को फतवा जारी किया कि मुस्लिम समुदाय के लोग...
देवबंदः कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते देशव्यापी लाकडाउन का पालन करने और सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंस) बनाये रखने की हिदायत देते हुये देवबंदी विचारधारा के केंद्र दारूल उलूम देवबंद ने गुरूवार को फतवा जारी किया कि मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिदों के बजाय घर की चाहरदिवारी के भीतर नमाज अदा करें।
दारूल उलूम के फतवा विभाग के सभी पांचों मुफ्तियों हबीबुरर्हमान खैराबादी, महमूद हसन बुलंदशहरी, जैनुल इस्लाम, वकार अली और नोमान सीतापुरी ने दारूल उलूम के चांसलर मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी के सवाल पर सर्वसम्मति से यह ऐतिहासिक फतवा जारी किया है। इस्लाम और इतिहास के जानकार एवं दारूल उलूम के तंजीम और तरक्की विभाग के प्रभारी अशरफ उस्मानी ने बताया कि संस्था के मोहतमिम (रेक्टर) मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने मौजूदा हालात को देखते हुए अपनी ही संस्था के एक फतवा विभाग से यह सवाल पूछा था कि जब मुल्क में महामारी फैली हो और कानूनी तौर पर सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी हो तो ऐसी सूरत में जुमा की नमाज पढने का इस्लामी आदेश क्या है।
इसके जवाब में पांचो मुफ्तियों ने सर्वसम्मति से यह फतवा जारी किया है कि कानून के पालन के लिए मस्जिदों के बजाए जुमे की नमाज के बजाए घरो पर जौहर की नमाज अदा की जाए। उस्मानी ने स्पष्ट किया कि मुसलमानों पर पांच नमाजे फर्ज है जिसमें एक दिन जुमा की नमाज इस तरह फर्ज है कि वह केवल जमात के साथ मस्जिद में ही पढी जानी अनिवार्य है। जुमा की जगह गैर जरूरी तौर पर जौहर की नमाज नहीं पढी जा सकती। इसीलिए मुसलमानों के लिए इस फतवे की बडी अहमियत है कि जुमा जैसा फर्ज छोडकर दारूल उलूम देवबंद ने घरो में नमाज पढने को जायज करार दिया है।
अशरफ उस्मानी ने यह भी कहा कि दारूल उलूम देवबंद की स्थापना के 150 सालों के दौरान ऐसा मौका देश में कभी नहीं आया है। जब लोगों को सोशल डिस्टेंस के साथ रहने को मजबूर होना पड रहा है। दारूल उलूम की परंपरा रही है कि विपदा के समय यह संस्था देश कानून और समाज के साथ खडी रही है। उस्मानी ने कहा कि पिछले जुमे को भी दारूल उलूम के मोहतमिम यह अपील जारी कर चुके थे लेेकिन वो फतवा नहीं था। अब यह अंतिम फैसले के तहत दारूल इफ्ता की पांच सदस्यीय पीठ का अतिम निर्णय के तौर पर फतवा जारी हो चुका है।