फर्रुखाबाद की सेंट्रल जेल में सुरों का संगम, कैदी सिखा रहे संगीत

Edited By Deepika Rajput,Updated: 27 Jun, 2018 03:28 PM

फर्रुखाबाद की सेंट्रल जेल में सुरों का संगम देखने को मिला है। यहां दहेज हत्या, डकैती और लूट के मामलों में अपने गुनाहों की सजा काट रहे कैदियों ने 6 लोगों की एक पूरी टीम तैयार की है, जो मिलकर गाना लिखते व गाते हैं। इतना ही यह सब जेल में मौजूद अन्य...

फर्रुखाबादः फर्रुखाबाद की सेंट्रल जेल में सुरों का संगम देखने को मिला है। यहां दहेज हत्या, डकैती और लूट के मामलों में अपने गुनाहों की सजा काट रहे कैदियों ने 6 लोगों की एक पूरी टीम तैयार की है, जो मिलकर गाना लिखते व गाते हैं। इतना ही नहीं ये सब जेल में मौजूद अन्य कैदियों को भी गाना सिखाते हैं। कानपुर, बरेली, इलाहाबाद, लखनऊ, आगरा आदि जगहों की जेलों में ये सब प्रस्तुति दे चुके हैं। इन लोगों के कार्यक्रम को अधिकारियों ने भी खूब सराहा है।
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कैदियों की टीम में अनिल राजपूत कैसियो और गजेंद्र सिंह ढोलक बजाते हैं। वहीं दिनेश मंजीरा, रमाकांत तिवारी गाना गाते व लिखते हैं। ध्रुव तिवारी और हाकिम सिंह गाना गाते हैं। जेल में कड़ी सुरक्षा होने के बावजूद यह कैदी अपने घर की तरह रहते हैं।
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जेल के अंदर जो काम दिया जाता उसको पूरा करने के बाद एक घंटे रियाज करते हैं। जब कुछ और समय और बचता है तो जेल में बंद अन्य कैदी जिनको संगीत में रुचि है उनको भी सिखाते हैं। जेल के अंदर जब संगीत बजता है तो एक से एक खतरनाक अपराधी के मन को शांति मिलती है।
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इस पूरी टीम का सहयोग जेल अधीक्षक बीपी त्रिपाठी ने किया है। उन्होंने बजाने के लिए बाजक यंत्र खरीदकर कैदियों को दिए, जिससे वह और अच्छा से अच्छा कार्यक्रम प्रस्तुत कर सकें। 
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दहेज हत्या की सजा काट रहे अनिल राजपूत का कहना है कि संगीत प्रेम मेरे पूरे परिवार में है। जिस अपराध में उम्र कैद मिली वह न करने के बाद भी सजा काट रहा हूं।दूसरी तरफ हम लोग खुद लिखते हैं खुद ही गाते हैं। संगीत से मन को शांति मिलती है।संगीत प्रेम सिखाता है किसी की हत्या नहीं।
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