BJP सरकार की कुनीतियों के चलते उत्तर प्रदेश में किसान घोर संकट में: अखिलेश

Edited By Ramkesh,Updated: 22 Oct, 2020 06:24 PM

farmers in severe crisis in uttar pradesh due to bjp government policies

समाजवादी पार्टी(सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री को सत्ता में साढ़े तीन साल पूरा होने के बाद भी यह एहसास नहीं है कि अधिकारी उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

लखनऊ: समाजवादी पार्टी(सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव( Akhilesh Yadav) ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री( Chief Minister) को सत्ता में साढ़े तीन साल पूरा होने के बाद भी यह एहसास नहीं है कि अधिकारी उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। यादव ने गुरूवार को यहां जारी बयान में कहा कि भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) सरकार की कुनीतियों के चलते उत्तर प्रदेश में किसान घोर संकट में है। किसान की फसल की खुले आम लूट हो रही है। मुख्यमंत्री के सत्ता में साढ़े तीन साल पूरा होने के बाद भी उनको यह एहसास नहीं है कि अधिकारी उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

किसानों के लिए की गई तमाम घोषणाएँ फाइलों में धूल खा रही हैं। सभी किसानों की कर्जमाफी का वायदा पूरा नहीं हुआ। फसल बीमा (Crop insurance) का लाभ बीमा कंपनियों के हिस्से में गया है, आय दुगनी होने की सम्भावना दूर-दूर तक नहीं। सस्ते कर्ज और लागत से ड्योढ़े मूल्य की अदायगी का इंतजार करते-करते किसानों की आंखें पथरा गई हैं। उन्होंने कहा कि जब कृषि अध्यादेशों को अधिनियम बनाया जा रहा था तभी यह आशंका थी कि इससे किसानों का ज्यादा अहित होगा। किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित होना पड़ेगा। राज्य में धान खरीद की शुरूआत के साथ किसानों की तबाही के दिन शुरू हो गए हैं। सरकारी दावों के बावजूद कितने धान खरीद केन्द्र खुले हैं या खरीद कर रहे हैं इसकी तो अलग से जांच होनी चाहिए। जब राजधानी लखनऊ के एक क्षेत्र में ही उपजिलाधिकारी और एकाधिक लेखपाल घंटों धान क्रय केन्द्र की तलाश में घूमते रहे तब कहीं एक केन्द्र ढूंढ पाएं। वहां भी खरीद नहीं हो रही थी। 


यादव ने कहा कि एक तो किसान को ऑनलाइन पंजीकरण में ही मुश्किल होती है, दूसरे वहां भी वसूली का खेल शुरू हो गया है। ऑनलाइन बुकिंग के नाम पर किसान से 50 रूपये से लेकर 100 रूपए तक वसूले जा रहे हैं। धान क्रय केंद्रों पर किसान अपनी फसल लिए तीन-चार दिन तक पड़ा रहता है। उसके लिए इन केंद्रों पर आवश्यक सुविधाओं तक की व्यवस्था नहीं है। कभी तौल के लिए मजदूर न होने का बहाना होता है तो कभी डस्टर की कमी का रोना होता है। इसके आगे धान क्रय केन्द्र पर किसानों को धान के मानक अनुकूल न होने का ज्ञान देकर लौटा दिया जाता है।

 उन्होंने कहा कि धान क्रय केंद्रों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य 1888 रूपए प्रति कुंतल अदा करना होता है। यहां केन्द्र प्रभारियों और बिचैलियों की साठगांठ की साजिशें शुरू होती है। क्रय केन्द्रों पर खरीद न होने से परेशान किसान को अपनी फसल एक हजार या 1100 रूपए प्रति कुंतल बेचने को मजबूर है। धान खरीद में अनियमितता और लापरवाही के ये मामले कोई इसी वर्ष के नहीं है, यही कहानी साढ़े तीन साल से दुहराई जा रही है। मुख्यमंत्री को अधिकारी अनुसुना कर देते हैं।

यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री (Chief Minister) अपराधियों को जेल भेजने की बात न जाने कितनी बार दुहरा चुके हैं लेकिन हकीकत में मर्ज बढ़ता गया ज्यों-त्यों दवा की। जब किसान लुट चुका होगा तब भाजपा सरकार लुटेरों को चिह्नित करेगी, यह तो अजीब खेल है। भाजपा सरकार में ऊपर से नीचे तक घोटालों और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। किसान भी अच्छी तरह समझने लगे हैं कि उनकी लूट इस अंधेरराज में होगी ही। भाजपा है तो किसानों की दुर्दशा मुमकिन है।

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