Edited By Ramkesh,Updated: 23 Sep, 2020 08:34 PM
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में पिछले पांच दिनों से सभायें कर रहे बिजली कर्मचारियों ने बुधवार को विद्युत वितरण कम्पनियों के निजीकरण के लिए बनाये ...
लखनऊ: पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में पिछले पांच दिनों से सभायें कर रहे बिजली कर्मचारियों ने बुधवार को विद्युत वितरण कम्पनियों के निजीकरण के लिए बनाये गए स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का विरोध करते हुए चेतावनी दी कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के विघटन एवं निजीकरण की दिशा में एक भी और कदम उठाया गया तो कर्मचारी पूर्ण हड़ताल पर चले जायेंगे।
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय पर हुये विरोध सभा में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के विघटन एवं निजीकरण की दिशा में एक भी और
कदम उठाया गया तो बिना और कोई नोटिस दिए सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मी उसी क्षण अनिश्चितकालीन आंदोलन जिसमे पूर्ण हड़ताल भी होगी, प्रारम्भ कर देंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रबंधन एवं सरकार की होगी।
सभा को सम्बोधित करते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों एएन सिंह, डी के प्रजापति, करूणेन्द्र कुमार वर्मा,शैलेन्द्र धूसिया,वीके सिंह ने कहा कि ऊर्जा निगमो का शीर्ष प्रबंधन पूरी तरह से विफल हो गया है और अपनी विफलता छिपाने के लिए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया जा रहा है और ऊर्जा क्षेत्र में अनावश्यक टकराव पैदा किया जा रहा है।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि ऊर्जा निगमों का प्रबंधन बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं को हड़ताल के रास्ते पर धकेल कर ऊर्जा क्षेत्र में औद्योगिक अशांति को पैदा कर रहा है। उन्होने प्रदेश सरकार और प्रबंधन से विगत में किए गए निजीकरण के प्रयोगों की विफलता की समीक्षा करने की अपील की और कहा कि प्रबंधन निजीकरण और फ्रेंचाइजीकरण की विफलता पर कोई समीक्षा करने को तैयार नहीं है।
संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों का कहना है कि दिसंबर 1993 में ग्रेटर नोएडा क्षेत्र का निजीकरण किया गया और अप्रैल 2010 में आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेन्ट फ्रेंचाइजी को दी गई और यह दोनों ही प्रयोग विफल रहे हैं। इन प्रयोगों के चलते पावर कारपोरेशन को अरबों खरबों रुपए का घाटा हुआ है और हो रहा है।