विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष बोले- नियामक आयोग करे न्याय तो 25% कम होगी बिजली दरें

Edited By Ramkesh,Updated: 13 May, 2021 04:15 PM

electricity rates will be reduced by 25 percent if the regulatory does justice

उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने गुरूवार को दावा किया कि 17 मई को बिजली दरों पर होने वाली सुनवाई में यदि विद्युत नियामक आयोग न्यायपूर्ण फैसला लेता है तो प्रदेश में बिजली की दरे एकमुश्त 25 फीसदी तक कम हो सकती हैं।  वर्मा...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने गुरूवार को दावा किया कि 17 मई को बिजली दरों पर होने वाली सुनवाई में यदि विद्युत नियामक आयोग न्यायपूर्ण फैसला लेता है तो प्रदेश में बिजली की दरे एकमुश्त 25 फीसदी तक कम हो सकती हैं।  वर्मा ने यहां जारी बयान में कहा कि कोरोना संकट के बीच में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय बिजली दर जल्द घोषित करने में लगा है जिसके चलते विद्युत नियामक आयोग 17 मई को बिजली दर की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करने जा रहा है। इस सिलसिले में श्री वर्मा ने बिजली दर पर अपनी आपत्तियां और सुझाव विद्युत नियामक आयोग में दाखिल कर दिया है। परिषद ने आयोग में दाखिल आपत्तियों के आधार पर विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में एकमुश्त 25 प्रतिशत कमी करने का अनुरोध किया है ।

वर्मा की दलील है कि उपभोक्ताओ का बिजली कम्पनियो पर उपभोक्ताओ के निकल रहे लगभग 19537 करोड़ के एवज में एकमुश्त 25 प्रतिशत अथवा 3 वर्षो तक लगातार 8 प्रतिशत बिजली दरों में जनहित में इस कोरोना काल में कमी आयोग करे। परिषद् ने यह भी मुद्दा उठाया कि सबसे बडा चौंकाने वाला मामला यह है कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2020-21 में जिस स्लैब परिवर्तन को खारिज कर दिया गया था उसे पुन: वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) का पाटर् बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि नियामक आयोग द्वारा खारिज स्लैब परिवर्तन को पुन: लागू कराने की साजिश गलत है । आयोग ने बिजनेस प्लान में जब वर्ष 2021-22 के लिए वितरण हानिया 11.08 प्रतिशत अनुमोदित कर दी फिर एआरआर में उसे बढ़ाकर 16.64 प्रतिशत प्रस्तावित करना आयोग आदेश का खुला उल्लंघन के साथ ही आयोग आदेश की अवमानना भी है ।

वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का ऐसा राज्य है जहां पर पिछले तीन वर्षो से प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में कोई सुधार नहीं हो रहा जिसका मुख्य कारण बिजली दरों में व्यापक बढ़ोतरी वर्ष 2017-18 में जहा प्रदेश में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 628 थी वही वह वर्ष 2018 -19 में घटकर 606 हो गयी और अब वर्ष 2019-20 में मात्र प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 629 है जो बहुत ही खराब स्थिति में है। देश के उत्तरी व पश्चिमी रीजन के ग्रिड पर जुड़े 14 राज्यों में यूपी में प्रति व्यक्ति खपत सबसे कम हैं ऐसे में यदि दरों में कमी न की गयी तो यह और भी निचले स्तर पर आयेगी। उन्होंने कहा कि बिलिंग का हाल यह है कि करीब 60 लाख विद्युत उपभोक्ता प्रदेश में ऐसे है जिनकी जमा सिक्योरटी पिछले लगभग 5 सालो से अधिक समय व्यतीत होने को है। बिलिंग सिस्टम में जीरो फीड है आज सभी उपभोक्ताओ को जो ब्याज 5 सालो से बिजली कम्पनियो ने हड़पा है उसको निकला जाय तो पांच वर्षो में 100 करोड़ से ऊपर होगी । 

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