चिट्ठी न कोई सन्देश.... 3 साल से लापता बेटे की तलाश में दर -दर भटक रही नेत्रहीन बुजुर्ग मां

Edited By Anil Kapoor,Updated: 20 Feb, 2021 12:44 PM

elderly couple wandering in search of son missing for 3 years

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसके बारे में पढ़कर आप हैरान रह जाएंगे। जहां एक नेत्रहीन मां 3 साल से अपने बेटे की आवाज सुनने को बेताब है।मां का कहना है कि नौकरी की तलाश में वो घर से बाहर गया था और....

लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसके बारे में पढ़कर आप हैरान रह जाएंगे। जहां एक नेत्रहीन मां 3 साल से अपने बेटे की आवाज सुनने को बेताब है।मां का कहना है कि नौकरी की तलाश में वो घर से बाहर गया था और आजतक लौटकर नहीं आया। मां और बाप इकलौते बेटे को ढूंढने की हर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बेपरवाह सिस्टम उन्हें हराने पर मजबूर किए हुए है।

PunjabKesariजानकारी मुताबिक मामला लखीमपुर खीरी के खीरी थाना क्षेत्र के निजामपुर गांव का है। यहां रहने वाले बुजुर्ग रामवती और छत्रपाल के इकलौते बेटे कन्हैया को गांव के ही दो युवक संतोष और सुनील मजदूरी करने के लिए नेपाल के जनकपुर ले गए थे। काफी समय बीत गया लेकिन अब तक उनका बेटा वापस घर नहीं आया। उन्होंने बताया कि संतोष और सुनील गांव के मजदूरों को अपने साथ ले जाकर नेपाल में मजदूरी कराते हैं। उन्हीं के साथ इनका एकलौता पुत्र कन्हैया गया था। जब इन लोगों से कन्हैया से बारे में पूछा जाता है तो दबाव बना कर सुलह समझौता करवाने की बात करने लगते हैं। सारे मजदूर तो वापस आ गए लेकिन उनका पुत्र अभी तक वापस नहीं आया।

PunjabKesariबताया जा रहा है कि अपने लापता बेटे की तलाश में नेत्रहीन बुजुर्ग दंपत्ति लगातार पुलिस, जिलाधिकारियों के दफ्तर के चक्कर इस उम्मीद से लगा रहे हैं कि पुलिस और प्रशासन उनकी मदद करेगा। उन्हें उम्मीद है कि बुजुर्ग मां अपने बेटे की आवाज को अपने कानों से सुनेगी। बेटा मां कह कर पुकारेगा उनके बुढ़ापे को सहारा मिल जाएगा। लेकिन अब तक प्रशासन की तरफ से उनको कोई मदद नहीं मिल पाई है। अब स्थिति यह है कि साढ़े 3 साल से बुजुर्ग मां-पिता ने घर की रोटी तक नहीं खाई है। उन्हें जो कोई खाने को दे देता है उसी को खा लेते हैं और हर जगह जाकर बेटे को खोजने की गुहार लगाते हैं।

PunjabKesariवहीं बुजुर्ग छत्रपाल का कहना है कि जबसे उनका बेटा लापता हुआ है, तब से पैदल चल-चलकर वे थक गए हैं। लेकिन उनके कदम अब तक अपने बेटे तक नहीं पहुंच पाए। मदद के लिए वह लगातार सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है। ऐसे ये सवाल उठता है कि इन बुजुर्गों की मदद कौन करेगा।

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