Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 19 Dec, 2020 11:25 AM
डॉक्टर कफील खान ने अपनी नजरबंदी के मामले में उच्चतम न्यायालय से राहत मिलने पर संतोष जताते हुए कहा कि 17 दिसंबर का दिन उनके लिए दोहरी खुशी लेकर आया। उच्चतम न्यायालय
जयपुर/लखनऊः डॉक्टर कफील खान ने अपनी नजरबंदी के मामले में उच्चतम न्यायालय से राहत मिलने पर संतोष जताते हुए कहा कि 17 दिसंबर का दिन उनके लिए दोहरी खुशी लेकर आया। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत डॉ. कफील खान की नजरबंदी रद्द करने के इलाहबाद उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह ‘‘एक अच्छा फैसला है।'' इससे पहले उच्च न्यायालय ने एक सितम्बर को डॉ कफील की नजरबंदी निरस्त करते हुये उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा करने का आदेश दिया था। डॉ खान ने कहा कि उनके भाई का निकाह बृहस्पतिवार को था और उसी दिन उच्चतम न्यायालय में सुनवाई तय थी जिससे परिवार में सभी के लिए स्थिति तनावपूर्ण थी। लेकिन जैसे ही उच्चतम न्यायालय का फैसला आया जश्न का माहौल बन गया।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि यह महज एक संयोग है या जानबूझकर सुनवाई 17 दिसंबर को तय की गयी जिस दिन मेरे भाई का निकाह होना था। उत्तर प्रदेश सरकार को मेरे भाई के निकाह की जानकारी थी। शादी पूर्व सभी कार्यक्रमों में हम तनाव में थे।' उन्होंने कहा कि वह बुधवार की रात सो नहीं पाए और बृहस्पतिवार सुबह निकाह कार्यक्रम के दौरान पहनने के लिए लाई गयी शेरवानी पहनकर ही अदालत चले गए। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता था कि याचिका का क्या होगा, वह खारिज होगी या मुझे न्यायालय से सीधे जेल भेज दिया जाएगा।'' उन्होंने कहा कि याचिका खारिज होने के बाद परिवार जनों ने उनसे वीडियो काल पर बात की।
उन्होंने कहा कि 17 दिसम्बर का दिन दोहरी खुशी लेकर आया जिस दिन भाई का निकाह और उच्चतम न्यायालय का फैसला उनके पक्ष में आया। उल्लेखनीय है कि 2017 में कथित तौर पर ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी के कारण कुछ बच्चों की मौत के बाद डा कफील को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज से निलंबित कर दिया गया था। खान ने कहा कि वह अपनी सेवा बहाली को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने इस बारे में राज्य सरकार को कई पत्र लिखे हैं। खान इस समय अस्थायी तौर पर दिल्ली व जयपुर में रह रहे हैं।