Edited By Ajay kumar,Updated: 31 Dec, 2019 03:35 PM
NAA के विरोध में उत्तर प्रदेश में हिंसक प्रदर्शन में पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया का सक्रिय हाथ होने के बाद अब इस संगठन पर प्रबिंध लगाने की सिफारिश की तैयारी है।
लखनऊ: हाल ही में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुआ जिसमें उपद्रवियों ने कई गाडिय़ों और पुलिस स्टेशन को आग के हवाले कर दिया। इस हिंसक प्रदर्शन में पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) का सक्रिय हाथ होना बताया जा रहा है। जिसकी वजह से अब इस संगठन पर प्रबिंध लगाने की सिफारिश की तैयारी की जा रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया ओपी सिंह ने केंद्र सरकार से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।
प्रदेश भर में हिंसा में पीएफआई के शामिल होने के सबूतों के बाद डी जीपी मुख्यालय ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश गृह विभाग को भेजा है। ओपी सिंह ने कहा कि पीएफआई से जुड़े लोगों के पास आपत्तिजनक सामग्री मिली है। ओपी सिंह की यह सिफारिश उत्तर प्रदेश शासन के गृह विभाग को मिल गई है। अब गृह विभाग इस सिफारिश को आगे केंद्र सरकार के पास भेजेगा। इसमें इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ इंडिया यानि सिमी के ज्यादातर सदस्य जुड़ गए हैं। संगठनों के लोगों के पास से पूरे राज्य में आपत्तिजनक साहित्य और सामग्री बरामद की गई है। यह लोग हिंसा में शामिल होने के साथ हिंसा फैलाने वालों की मदद कर रहे थे।
ग़ौरतलब है कि डी जीपी मुख्यालय ने अपनी सिफारिश में पीएफआई के बारे में लिखा है कि लखनऊ में प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा मामले में पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार लोगों की पहचान पीएफआई अध्यक्ष वसीम अहमद, कोषाध्यक्ष नदीम, मंडल अध्यक्ष अशफाक के रूप में हुई थी। पुलिस ने इस बात का दावा भी किया था कि लखनऊ में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों के दौरान गुरुवार (19 दिसंबर) को हिंसा का मास्टरमाइंड यही संगठन है। सीएए पर देश में भड़की हिंसा में कई जगहों पर इस संगठन के कार्यकर्ता शामिल थे। इससे से जुड़े लोगों ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बैठक की थी।