Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 15 Mar, 2019 10:43 AM
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओ पी सिंह ने शस्त्र धारकों द्वारा खरीदे गये कारतूसों के दुरूपयोग रोके जाने के सम्बन्ध में अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए हैं। पुलिस प्रवक्ता ने यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डीजीपी सिंह ने गुरुवार को...
लखनऊः उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओ पी सिंह ने शस्त्र धारकों द्वारा खरीदे गये कारतूसों के दुरूपयोग रोके जाने के सम्बन्ध में अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए हैं। पुलिस प्रवक्ता ने यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डीजीपी सिंह ने गुरुवार को राज्य के सभी पुलिस के आला अधिकारियों को कारतूसों के क्रय किये जाने के सम्बन्ध में उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश एवं शासनादेश के क्रम में खरीदे गये कारतूसों का दुरूपयोग रोकने के सम्बन्ध में निर्देशित किया है। उन्होंने कहा कि आयुध नियमावली-2016 के तहत कोई व्यक्ति एक कैलेण्डर वर्ष में प्रति अग्नायुध अधिकतम 200 कारतूस खरीद सकेगा और किसी एक समय में प्रति आयुध अधिकतम 100 कारतूस कब्जे में रख सकेगा। खिलाडिय़ों में विभिन्न वर्गो एवं शूटिंग क्रीड़ा संगमो की मात्रा का निर्धारण नियमावली के अनुसार किया जायेगा।
निर्देशों में कहा है कि क्रय किये गये कारतूसों का दुरूपयोग न हो, इसके लिये कारतूसों को क्रय करते समय, क्रय किये गये कारतूसों की संख्या के कम से कम 80 प्रतिशत खोखा को जमा करना अनिवार्य किया गया है (खिलाडिय़ों के विभिन्न वर्गो तथा शूटिंग क्रीड़ा संगमों सम्बन्धी व्यक्ति या व्यक्तियों के वर्ग पर यह शर्त लागू नहीं होगी)। सम्बन्धित उप जिला मजिस्ट्रेट एवं पुलिस उपाधीक्षक मासिक औचक निरीक्षण के दौरान कारतूस खरीद करते समय जमा किये गये खोखा कारतूसों का सत्यापन करना सुनिश्चित करेंगे।
डीजीपी के निर्देशानुसार आयुध एवं गोला बारूद के क्रय-विक्रय के लिये क्रेता के पहचान सबूत के रूप में आधार कार्ड/मतदाता पहचान पत्र/पैनकार्ड/पासपोर्ट धारक क्रेता द्वारा ही शस्त्र/गोला बारूद खरीदा जा सकेगा। सम्बन्धित उप जिला मजिस्ट्रेट एवं पुलिस उपाधीक्षक द्वारा आकस्मिक निरीक्षण के दौरान यह भी देखा जाय कि शस्त्र, कारतूस या गन पाउडर आदि अन्य कोई सामान बेचते समय क्रय करने वाले व्यक्ति के पहचान पत्र की छायाप्रति सबूत के रूप में सम्बन्धित शस्त्र अनुज्ञप्तिधारी द्वारा क्रेता से प्राप्त कर सुरक्षित रखा गया है।
आकस्मिक निरीक्षण के दौरान सम्बन्घित पुलिस उपाधीक्षक एवं उप जिला मजिस्ट्रेट द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि शस्त्र व्यवसायिक अनुज्ञप्तिधारियों द्वारा आयुध और गोला बारूद के विक्रय एवं सुरक्षित अभिरक्षा में रखे जाने के लिये आयुध नियमावली के नियमों में वर्णित प्राविधानों के अनुसार अभिलेखों का समुचित रख-रखाव किया जा रहा है और प्रत्येक शनिवार को कारोबार के धण्टो के अन्त तक चालू सप्ताह के लिये साप्ताहिक लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जा रहा है।
हर्ष फायरिंग किये जाने की दशा में अथवा किसी अन्य प्रकार से लाइसेंस की शर्तो का उल्लंघन होने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक द्वारा सम्बन्धी लाइसेंसी के शस्त्र लाइसेंस को निरस्त किये जाने के सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे। शस्त्र नियमावली एवं शासनादेश के प्रावधानों का स्वयं अध्ययन कर जिले में गोष्ठी आयोजित कर वर्णित नियमावली एवं शासनादेश के प्रावधानों को अपने अधीनस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों को विस्तार से अवगत कराते हुए निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें।