उत्तर प्रदेश में बाढ़ से तबाही, मुख्यमंत्री निभा रहे है औपचारिकता: अखिलेश

Edited By Ramkesh,Updated: 19 Aug, 2020 08:24 PM

destruction due to floods in up chief minister is playing formality akhilesh

समाजवादी पार्टी(सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में बाढ़ द्वारा तबाही मचाने के बावजूद मुख्यमंत्री राज्य के जिलाधिकारियों से बैठक कर महज औपचारिकता निभाने की खानापूर्ति कर रहे है।

लखनऊ: समाजवादी पार्टी(सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में बाढ़ द्वारा तबाही मचाने के बावजूद मुख्यमंत्री राज्य के जिलाधिकारियों से बैठक कर महज औपचारिकता निभाने की खानापूर्ति कर रहे है। यादव ने बुधवार को बयान जारीकर कहा कि उत्तर प्रदेश में बाढ़ से गांव बेहाल है। कई जिलों में नदियों में उफान से गांव के गांव डूब गए हैं, फसलें बर्बाद हो गई हैं। इससे पहले किसान ओलावृष्टि, अतिवृष्टि का शिकार हो चुका है, उसे अपनी चौपट फसलों का अभी तक मुआवजा भी नहीं मिला है। पशुधन का नुकसान अलग से हुआ है। जब चारों ओर तबाही मच गई है तब मुख्यमंत्री राज्य के जिलाधिकारियों से बैठक कर महज औपचारिकता निभाने की खानापूर्ति कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाढ़ के कारण हजारों हेक्टेयर जमीन में लगी करोड़ों की फसल बर्बाद हो गई है। दर्जनों मौतें हो चुकी है। पलियाकलॉ (लखीमपुरखीरी) में शारदा नदी, तूतीपार (बलिया) एलगिन ब्रिज और अयोध्या में सरयू (घाघरा नदी) खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। लोग बंधों और सड़क के किनारे शरण लेकर पड़े हैं। उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। सरकार से कोई राहत नहीं मिल पा रही है। न मिट्टी का तेल, न खाने पीने की सामग्री, नहीं दवाएं और सिर छुपाने के लिए प्लास्टिक या तिरपाल भी मुहैया नहीं कराया जा रहा है। श्री यादव ने कहा कि बहराइच के 85 गांवों में पानी भरा है। 25 दिनों से बाढ़ग्रस्त इलाकों में लोग फंसे हुए हैं। किसान कहते हैं कि पशुओं के चारे में सांप छुपे बैठे हैं इसलिए पशुओं को भी चारा नहीं दे पा रहे है। बाराबंकी के गणेशपुर चहलारी घाट तटबंध पर 55 वर्षीय पिता 12 वर्षीय पुत्र को बचाने में नदी में डूब गया।

पीएसी की फ्लड कम्पनी से मदद मांगने पर जवाब मिला, स्टीमर में तेल नहीं है। बाराबंकी में खेत-खलिहान सब जलमग्न है। राहत में सड़े आलू दिए गए हैं। गाजियाबाद में पानी पुलिस चौकी तक में घुस गया। हापुड़ में तीस किलोमीटर तक पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। श्रावस्ती में राप्ती नदी उफान पर है। उन्होंने कहा कि गोण्डा में घाघरा नदी की बाढ़ में सैकड़ों गांव फंसे हैं। करनैलगंज में दो हजार की आबादी इसकी चपेट में है। बहराइच में सरयू नदी उफान पर है जिससे 70 गांव डूब गए है। देवरिया में हजारों बीघा जमीन पानी में डूब गई है। कासगंज में बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। बस्ती में सरयू नदी का कहर है। आजमगढ़ में तमाम मकान जलभराव से गिर गए हैं। रहने का ठिकाना नहीं है। पशु भी चारे के अभाव में मर रहे हैं। खेती चौपट है। धान एवं गन्ना की फसल बर्बाद हो गई है। आदमी व पशु बीमार पड़ रहे है उनकी चिकित्सा-दवा की कोई व्यवस्था नहीं है। श्री यादव ने कहा कि नगरों, उपनगरों में हालात कमोबेश ऐसे ही है। जलभराव और घरों में पानी से बीमारियों का खतरा उत्पन्न हो गया है। इस सबसे सरकार बेपरवाह है। भाजपा का एजेण्डा पीड़ितों से दूर ही दूर रहता है। गांवों की बदहाली में भी भाजपा सरकार अपना राजनीतिक स्वार्थ साधन करने से नही चूक रही है। यह संवेदनशून्यता की पराकाष्ठा है।

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