Edited By Deepika Rajput,Updated: 03 Nov, 2018 05:24 PM
देवरिया बालिका गृह कांड में बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, एसआईटी को 89 दिन की विवेचना के बाद इस मामले में सेक्स रैकेट चलाने का कोई सबूत नहीं मिला है। एसआईटी ने शुक्रवार देर शाम अपनी जांच रिपोर्ट का आरोप पत्र मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट तरन्नुम खान की...
देवरियाः देवरिया बालिका गृह कांड में बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, एसआईटी को 89 दिन की विवेचना के बाद इस मामले में सेक्स रैकेट चलाने का कोई सबूत नहीं मिला है। एसआईटी ने शुक्रवार देर शाम अपनी जांच रिपोर्ट का आरोप पत्र मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट तरन्नुम खान की अदालत में दाखिल किया।
गौरतलब है कि मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा संचालित बाल गृह बालिका स्टेशन रोड में 5 अगस्त, 2018 की रात पुलिस ने छापेमारी कर 20 लड़कियों और 3 लड़कों को मुक्त कराया था। पुलिस ने एक बालिका के बयान के बाद बाल गृह बालिका से सेक्स रैकेट संचालित होने की बात कहते हुए संचालिका गिरिजा त्रिपाठी, मोहन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मामला हाई प्रोफाइल होने के चलते इसकी विवेचना सरकार ने एसआईटी को सौंप दी थी।
एसआईटी की शुरुआती जांच में ही सेक्स रैकेट की पुष्टि न होते देख राज्य सरकार ने तत्कालीन एसपी रोहन पी कनय, सीओ सिटी को हटा दिया जबकि कोतवाल, उप निरीक्षक को निलंबित कर दिया था। इसके बाद एसआईटी ने आरोपी गिरिजा त्रिपाठी, उसके पति मोहन त्रिपाठी और बेटी कंचनलता को रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी।