कोरोना काल में स्कूलों का फरमान- नहीं जमा होगी फीस तो छात्रों का कटेगा नाम

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 27 May, 2021 06:27 PM

decree of schools in corona period  fees will not be

कोरोना संक्रमण के इस दौर में खतरनाक कोरोना वायरस ने न सिर्फ लोगों की जिंदगी को खत्म किया। बल्कि लोगों के कारोबार को भी अपना निशाना बनाया। ऐसे में व्यापारिक प्रतिष्ठानों के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों पर भी ताले लटक गए और बीते 1 साल से ज्यादा के अंतराल...

मेरठः कोरोना संक्रमण के इस दौर में खतरनाक कोरोना वायरस ने न सिर्फ लोगों की जिंदगी को खत्म किया। बल्कि लोगों के कारोबार को भी अपना निशाना बनाया। ऐसे में व्यापारिक प्रतिष्ठानों के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों पर भी ताले लटक गए और बीते 1 साल से ज्यादा के अंतराल में बहुत कम समय के लिए स्कूल खोले गए।

वहीं स्कूलों ने कोरोना काल की फीस जमा करने के लिए अभिभावकों से आग्रह किया तो उन्होंने कोरोना काल में बंद पड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों की दुहाई देते हुए फीस नहीं जमा कराई। ऐसे में अब उत्तर प्रदेश के स्कूल फीस जमा करने को लेकर अपनी आस्तीनें चढ़ाने के मूड में दिखाई दे रहे हैं। स्कूलों की तरफ से अभिभावकों को साफ तौर पर हिदायत दे दी गई है कि एक तय समय सीमा के अंदर फीस न जमा करने पर छात्रों का नाम स्कूल से काट दिया जाएगा।

दरअसल, कॉन्फ़िगरेशन आफ इंडिपेंडेंट स्कूल्स में उत्तर प्रदेश के करीब 1300 स्कूल शामिल है, जिन्होंने बीते दिनों अभिभावकों के द्वारा कोरोना काल की फीस न जमा करने को लेकर मंथन किया। इस दौरान स्कूलों पर आर्थिक संकट खड़ा होने के बात रखी गई। स्कूलों की तरफ से साफ तौर पर कहा गया कि अगर अभिभावक फीस जमा नहीं करेंगे तो स्कूल अपना खर्चा कहां से उठाएगा जिसमें कि शिक्षकों का वेतन भी शामिल है। इसलिए स्कूलों के द्वारा ये फैसला किया गया है कि सरकार के निर्देश के अनुसार फीस बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।

साथ ही अभिभावकों को फीस जमा करने के लिए समय भी दिया जाएगा और अगर समय सीमा में अभिभावक स्कूल की फीस जमा नहीं करते उनके बच्चे का नाम काट दिया जाएगा। इस दौरान संस्था के सेक्रेटरी राहुल केसरवानी ने कहा कि बीते कोरोना काल में कई लोग ऐसे रहे हैं, जिनकी नौकरियां कारोबार पर इस कोरोना काल का कोई असर नहीं पड़ा। जिनमें सरकारी नौकरी करने वाले लोग, मेडिकल व्यवस्था से जुड़े लोग, किराने की दुकान से जुड़े लोग शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जिनका कारोबार कोरोना काल में भी चलता रहा, वो लोग भी अपने बच्चों की स्कूली फीस जमा नहीं कर रहे हैं। जिससे स्कूलों का संचालन नहीं हो पा रहा है। साथ ही स्कूल में काम करने वाले शिक्षकों समेत अन्य लोगों का वेतन भी स्कूल प्रशासन नहीं दे पा रहा है। इसी के चलते हुए स्कूलों की संस्था ने ये फैसला लिया है कि तय समय सीमा के बाद अगर कोई अभिभावक बच्चे की फीस जमा नहीं करता है तो उसका नाम स्कूल से काट दिया जाएगा। 

ऐसे में सवाल उठता है कि स्कूलों के द्वारा ऐसा कौन सा मानक बनाया जा रहा है कि जिसके जरिए इन लोगों के कारोबार की जांच की जाएगी और उसके जरिए बाकायदा सूची बनाकर अभिभावकों को सूचित करने का काम करेगा जिसके ज़रिए स्कूल की फीस जमा हो सके । सरकार ने अभिभावकों को राहत देते हुए कहा कि जो अभिभावक एक मुश्त स्कूली फीस जमा नही कर सकते वो महीने के हिसाब से स्कूली फीस जमा करा सकतें है । साथ ही स्कूलों को इस बात के लिए भी निर्देशित किया गया है कि स्कूल अभिभावकों पर फीस जमा करने को लेकर कोई भी दबाव न डालें। 

वहीं कोरोना काल के दौरान की स्कूली फीस जमा करने के मुद्दे पर अभिभावक संघ का कहना है कि कोरोना काल में किसी भी व्यक्ति का कारोबार नहीं चल पाया। जो लोग दूसरे व्यापारियों की दुकान पर काम कर रहे थे उन्हें भी पूरी तनख्वाह नहीं मिल पाई है। इसलिए स्कूलों को इस तरीके का तानाशाही भरा फरमान नहीं जारी करना चाहिए बल्कि स्कूलों को अभिभावकों को बच्चों की स्कूल फीस भरने में रियायत देनी चाहिए। 

इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि स्कूलों को सिर्फ 25% ही फीस देनी चाहिए क्योंकि बच्चों ने ना तो स्कूल परिसर में किसी सुविधा का लाभ उठाया और पढ़ाई भी ऑनलाइन ही की है। साथ ही इन लोगों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर स्कूलों ने किसी भी बच्चे का नाम काटने जैसा काम किया तो हो स्कूल खिलाफ आंदोलन छेड़ देंगे और शिक्षा विभाग के जुड़े अधिकारियों के दफ्तरों पर धरना देने के साथ-साथ स्कूलों पर तालाबंदी का भी काम करेंगे।

Related Story

Trending Topics

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!