Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Mar, 2018 04:20 PM
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर और शामली दंगे से जुड़े तकरीबन 131 मुकदमें हटाने का फैसला लिया है। जिसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इन दंगों में 13 हत्या और 11 हत्या की कोशिश के मामले दर्ज हैं। वहीं इन दंगों में जिन लोगों पर...
मऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर और शामली दंगे से जुड़े तकरीबन 131 मुकदमें हटाने का फैसला लिया है। जिसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इन दंगों में 13 हत्या और 11 हत्या की कोशिश के मामले दर्ज हैं। वहीं इन दंगों में जिन लोगों पर मुकदमें दर्ज हैं उनके लिए तो यह राहत की खबर है। लेकिन योगी सरकार के इस फैसले से जनता नाखुश है। मऊ के लोगों ने योगी सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया है।
लोगों ने सीएम योगी पर आरोप लगाते हुए कहा कि योगी खुद दंगाई हैं। इसलिए दंगाइयों का केस वापस लेने का निर्णय लिया है। ऐसा नही होना चाहिए अगर ऐसा हुआ तो दंगाइयों का हौसला और बढ़ेगा और हर बार दंगा कराएंगे।
सीएम से की थी मुलाकात
प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद से ही दंगों में दर्ज मामले वापस लेने की मांग उठ रही थी। इसी सिलसिले में बीजेपी सांसद संजीव बालियान और बुढ़ाना के विधायक उमेश कौशिक की अगुआई में मुजफ्फरनगर और शामली के नुमाइंदों ने बीते 5 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी। सीएम से 179 मामलों को रद्द करने मांग की गई थी।
खाप नेताओं की मांग पर 23 फरवरी को यूपी के कानून विभाग ने मुजफ्फरनगर और शामली के डीएम को पत्र लिखकर 131 मुकदमों का ब्योरा मांगा था। राज्य के मुख्य सचिव (गृह) अरविंद कुमार ने कहा कि उन्हें केस वापस लेने के बारे में कोई जानकारी नहीं है और यह मामला कानून विभाग देखता है। संजीव बालियान ने बताया कि वह पिछले महीने मुख्यमंत्री से मिले थे और उन्होंने 850 हिंदू आरोपियों से जुड़े 179 मामले हटाने की मांग की थी।
62 लोग मारे गए थे
सितंबर 2013 में हुए मुजफ्फरनगर और शामली दंगों में कम से कम 62 लोग मारे गए थे और हजारों लोगों को घर-बार छोड़ना पड़ा था। हिंसा को देखते हुए तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने मुजफ्फरनगर और शामली थानों में करीब 1,455 लोगों के खिलाफ 503 मामले दर्ज कराए थे।