Edited By Anil Kapoor,Updated: 08 Jun, 2018 02:41 PM
इस्लामिक शिक्षण संस्था दारूल उलूम से शियाओं को लेकर जारी हुए फतवे ने विवाद खड़ा कर दिया है। देश व विदेश में इसको लेकर बहस छिड़ गई है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक मैसेज में दारूल उलूम का नाम लेकर फतवे को फर्जी करार दिया जा रहा है, वहीं दारूल उलूम...
देवबंद: इस्लामिक शिक्षण संस्था दारूल उलूम से शियाओं को लेकर जारी हुए फतवे ने विवाद खड़ा कर दिया है। देश व विदेश में इसको लेकर बहस छिड़ गई है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक मैसेज में दारूल उलूम का नाम लेकर फतवे को फर्जी करार दिया जा रहा है, वहीं दारूल उलूम ने इस फतवे पर चुप्पी साध ली है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मैसेज में जारी फतवे को फर्जी करार दिया जा रहा है और साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि एक बार फिर शिया-सुन्नी के बीच नफरत फैलाने का खेल खेला जा रहा है। कहा गया है कि फर्जी फतवे में सुन्नियों को हिदायत दी गई है कि वे शिया समुदाय के यहां इफ्तार पार्टी या शादी की दावत में जाने से परहेज करें। इसके साथ ही वायरल हुए मैसेज में यह भी कहा गया है कि फतवे को लेकर शिया और सुन्नी दोनों सम्प्रदायों के धर्मगुरुओं के साथ-साथ दारूल उलूम देवबंद ने इसकी जमकर निंदा की है। फतवे को किसी की शरारत करार दिया गया है जबकि इस मामले में अभी तक दारूल उलूम के किसी भी जिम्मेदार ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
गौरतलब है कि फतवा सपा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष सिकंदर अली ने जारी किया था जिसमें शियाओं की इफ्तार पार्टी में जाने और शादी में शरीक होने या खाने-पीने को लेकर सवाल किया गया था। इस पर दारूल उलूम के मुफ्तियों ने इसमें जायज और नाजायज शब्द का इस्तेमाल न कर केवल इससे परहेज रखने की सलाह दी थी।