Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Apr, 2018 12:13 PM
उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार को लेकर असहज दलित समुदाय का जो गुस्सा 2 अप्रैल को भारत बंद के मौके पर फूटा था उसे भले ही बलपूर्वक दबा दिया गया, लेकिन विरोध की चिंगारी अभी भी अंदर ही अंदर धधक रही है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार को लेकर असहज दलित समुदाय का जो गुस्सा 2 अप्रैल को भारत बंद के मौके पर फूटा था उसे भले ही बलपूर्वक दबा दिया गया, लेकिन विरोध की चिंगारी अभी भी अंदर ही अंदर धधक रही है। 14 अप्रैल को अांबेडकर जयंती पर पूरे प्रदेश में खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बार फिर दलितों के ताकत प्रदर्शन की संभावना है। खुफिया रिपोर्ट के आधार पर प्रदेश सरकार व पुलिस प्रशासन किसी भी तरह की अप्रिय वारदात को रोकने के लिए अलर्ट है।
भाजपा सरकार के खिलाफ यद्यपि दलित विरोधी होने के आरोप उन तमाम राज्यों में लगाए जाते रहे हैं जहां उनकी सरकारें हैं। उत्तर प्रदेश में यह स्थिति और नाजुक है। दलित समर्थन से कई बार सत्ता में आ चुकी बहुजन समाज पार्टी दलितों के हर आंदोलन में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से साथ देती रही है। 2 अप्रैल के प्रदर्शन में बसपा के अलावा दूसरी विरोधी पार्टियों के लोगों का भी समर्थन था। हिंसक आंदोलन के चलते मेरठ सहित कई स्थानों पर वाहनों को जलाने तथा पुलिस पर हमले जैसी घटनाएं भी हुई थीं।
2 अप्रैल की घटना के बाद दलित उपद्रवियों के साथ जिस तरह पुलिस प्रशासन सख्ती से पेश आ रहा है उससे दलितों में जहां एक ओर भय का माहौल है वहीं वे अपनी एक जुटता व ताकत का अहसास कराने के लिए एकजुट भी किेए जा रहे हैं। दलित नेता खासकर बसपा से जुड़े नेता पर्दे के पीछे से अांबेडकर जयंती को इस बार जगह-जगह भव्य रूप में मनाने की तैयारी में लगे हैं। इस मौके पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को जुटाकर सरकार को अपनी ताकत भी दिखाने की मंशा है।
आशंका यह है कि बड़ी संख्या में भीड़ जुटने के बाद उपद्रवियों द्वारा किसी भी तरह की अफवाह फैलाकर भीड़ को भड़काया जा सकता है। खुफिया रिपोर्ट तथा स्थानीय प्रशासन से मिली जानकारी के आधार पर मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली तथा आगरा जैसे क्षेत्रों में पुलिस बल की गश्त बढ़ाने के साथ ही खुफिया तौर पर सूचनाएं जुटाने की कोशिश की जा रही है।