वेटलैंडों के सिकुड़ने से सारस पक्षी की तादात में आ रही है लगातार गिरावट

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 02 Feb, 2019 01:38 PM

crude falling from the wetland

उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में वेटलैंडो (आद्र्रभूमि)के सिकुडऩे के कारण सारस पक्षियों की संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। आजादी के समय भारत में सात फीसदी भूभाग वेटलैंड था जो अब घटकर चार फीसदी से कम रह गया है। जलयुक्त दलदली वन भूमि के...

इटावाः उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में वेटलैंडो (आद्र्रभूमि)के सिकुडऩे के कारण सारस पक्षियों की संख्या में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। आजादी के समय भारत में सात फीसदी भूभाग वेटलैंड था जो अब घटकर चार फीसदी से कम रह गया है। जलयुक्त दलदली वन भूमि के सिकुडने के कारण सारस की संख्या मे लगातार बड़ी गिरावट सामने आती जा रही है। पूरे विश्व का पांच फीसदी भूभाग वेटलैंड है। विश्व के 40 फीसद सारस उत्तर प्रदेश में वास करते हैं।

भारतीय वन्य जीव संस्थान,( देहरादून) के संरक्षण अधिकारी डॉ. राजीव चौहान ने यहां बताया कि जब तक उत्तराखंड अलग राज्य नहीं बना था तो उत्तर प्रदेश की सबसे अधिक जैव विविधता उत्तराखंड इलाके में थी। बंटवारे के बाद उत्तर प्रदेश की 45 फीसदी जैव विविधता यहां बिखरे पड़े वेटलैंड में समाहित है। ये वेटलैंड वातावरण से कार्बन डाई आक्साइड का अवशोषण कर ग्लोबल वार्मिग को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य वन्यजीव संरक्षक रूपक डे ने शुक्रवार को यहां बताया कि विश्व में एक लाख से ज्यादा वेटलैंड क्षेत्र हैं। दुनिया भर में 30 से 35 हजार सारस पाए जाते हैं जिनमें 20 से 25 हजार भारत में हैं। इनमें 14 हजार उत्तर प्रदेश में हैं। राज्य में विश्व के 40 फीसद सारस वास करते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि क्रेन विलुप्तप्राय पक्षियों में एक है। इनकी विश्व में पाई जाने वाली 15 में से 11 प्रजातियों के पक्षियों की संख्या निरंतर घट रही है।




 

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