न्यायालय ने ताज संरक्षण दृष्टिपत्र सौंपने के लिए UP सरकार को 15 नवंबर तक का दिया समय

Edited By Ruby,Updated: 25 Sep, 2018 01:23 PM

court gave the up government the time till november 15 to hand over the taj

उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को ताज महल के संरक्षण पर अपना दृष्टिपत्र दाखिल करने के लिए दी गई अवधि 15 नवंबर तक के लिए बढ़ा दी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायालय को बताया कि समूचे आगरा को ‘धरोहर शहर’ घोषित करना मुश्किल होगा..

आगराः उच्चतम न्यायालय ने प्रदूषण से ताज महल के संरक्षण के संबंध में दृष्टिपत्र सौंपने के लिए उत्तर प्रदेश को दी गयी समय सीमा 15 नवंबर तक के लिए बढ़ा दी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायमूर्ति बी. लोकुर की पीठ को बताया कि समूचे आगरा को ‘धरोहर शहर’ घोषित करना मुश्किल होगा। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि ताज महल के इर्द गिर्द के कुछ इलाकों को विरासत घोषित करने के बारे में वह विचार करे। उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि अहमदाबाद स्थित पर्यावरण नियोजन एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (सीईपीटी) ताजमहल के आसपास के इलाके को धरोहर घोषित करने में हमारी मदद कर रहा है। मामले पर अगली सुनवाई अब 29 नवंबर को होगी।

15 अक्तूबर तक का यूपी सरकार को दिया समय
इससे पहले न्यायालय ने दृष्टिपत्र सौंपने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को 15 अक्तूबर तक का समय दिया था, लेकिन मंगलवार को उप्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता और अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी के अनुरोध पर न्यायालय ने समय सीमा एक महीने के लिए बढ़ा दी। शीर्ष अदालत ने 28 अगस्त को कहा था कि निश्चित ही इस मामले में ताजमहल को केन्द्र में रखते हुए ही विचार करना होगा। लेकिन इसके साथ ही दृष्टिपत्र तैयार करते समय वाहनों के आवागमन, ताज ट्राइपेजियम जोन में काम कर रहे उद्योगों से होने वाला प्रदूषण और यमुना नदी का जल स्तर जैसे मुद्दों पर भी गौर करना चाहिए।     

संस्थाओं से भी मिले हैं सुझाव      
ताज ट्राइपेजियम जोन करीब 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है जिसके दायरे में उत्तर प्रदेश का आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा तथा राजस्थान का भरतपुर जिला आता है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूॢत दीपक गुप्ता की पीठ ने दृष्टिपत्र तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल परियोजना समन्वयक से कहा, ‘‘यदि ताजमहल खत्म हो गया तो आपको दुबारा अवसर नहीं मिलेगा।’’पूर्व में केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने कहा था कि न्यायालय के आदेश के बाद उसे खान फाउण्डेशन, इंटैक और अंतरराष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद जैसी विशेष दक्षता वाली संस्थाओं से भी इस बारे में सुझाव मिले हैं।      

‘धरोहर शहर’ घोषित करने के लिए भेजा जाएगा प्रस्ताव
नाडकर्णी ने कहा कि केन्द्र ने आगरा ‘धरोहर शहर’ घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव भेजने के लिये केन्द्र को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग भी ताज के लिये धरोहर योजना तैयार करने की प्रक्रिया में है जिसे तीन महीने के भीतर यूनेस्को के पास भेज दिया जायेगा। इससे पहले, ताजमहल के संरक्षण के लिये जनहित याचिका दायर करने वाले पर्यावरणविद अधिवक्ता महेश चन्द्र मेहता ने कहा कि यहां हरित क्षेत्र कम हो गया है और यमुना नदी के तट के आसपास अतिक्रमण है। शीर्ष अदालत के 1996 के आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस इलाके में अनेक उद्योग शुरू हो गये हैं जिनमे से अनेक अपनी क्षमता से ज्यादा काम कर रहे हैं। 

क्या इन सब पर विचार किया गया है?
उन्होंने कहा कि न्यायालय के इस आदेश के अनुसार इलाके में 511 उद्योग थे। न्यायालय ने कहा था कि इनमें से 292 के मामले में अलग से विचार किया जायेगा। उप्र सरकार की वकील ऐश्वर्या भाटी ने जब यह कहा कि इस समय इलाके में प्रदूषण फैलाने वाली 1167 इकाईयां हैं तो पीठ ने कहा, ‘‘ 1996 में न्यायालय से जो कहा गया था उसमें अब काफी बदलाव आ चुका है। पहले 511 उद्योग थे और अब इनकी संख्या 1167 हो गयी है। क्या इन सब पर विचार किया गया है?’’      

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