सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में कोरोना का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज शुरू: प्रो रामकुमार

Edited By Ramkesh,Updated: 18 Aug, 2020 05:56 PM

corona begins treatment with plasma therapy at saifai medical university

उत्तर प्रदेश के इटावा में सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के ब्लड बैंक एण्ड ट्रान्सफ्यूजन मेडिसिन विभाग द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजों का प्लाजमा थेरेपी से इलाज शुरु कर दिया है।

इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा में सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के ब्लड बैंक एण्ड ट्रान्सफ्यूजन मेडिसिन विभाग द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजों का प्लाजमा थेरेपी से इलाज शुरु कर दिया है। मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो.राजकुमार ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसके लिए कोई भी व्यक्ति जो कोरोना से स्वस्थ हो चुका है और उसकी जॉच रिपोटर् निगेटिव आयी है। वह तीन सप्ताह के भीतर प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित स्वस्थ हुए मरीज प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। उन्होंने इसके लिए ठीक होने वालों लोगों से प्लाजमा दान करने की अपील की है।

प्लाज्मा डोनेशन की प्रक्रिया पूरी तरह नि:शुल्क एवं प्रतिदिन24 घंटे उपलब्ध
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में प्लाज्मा डोनेशन की प्रक्रिया पूरी तरह नि:शुल्क एवं प्रतिदिन24 घंटे उपलब्ध है। जिसमें डोनर की एण्टीबाडीज टेस्टिंग व जरूरी जॉचे विभाग द्वारा पूर्णत्या नि:शुल्क की जायेगी। इसके लिए कोरोना से ठीक हुए व्यक्ति जिसकी उम्र 18 से 50 वर्ष के बीच हो। वह विश्वविद्यालय के ब्लड बैंक प्रभारी अथवा चिकित्सा अधीक्षक से सम्पकर् कर सकता है। इसके लिए वह ब्लड बैंक के प्लाज्मा डोनेशन सम्पकर् नम्बर 9454307273 पर भी सम्पकर् कर सकता है।

प्लाज्मा डोनेशन का शरीर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता
प्रो.राजकुमार ने बताया कि इस थैरेपी का इस्तेमाल चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका में किया जा रहा है। भारत में भी इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने इस प्रयोग को मंजूरी दे दी है तथा देश के कुछ प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में इसको शुरू किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना से जंग जीत चुके कोरोना वारियर्स अन्य कोरोना संक्रमित लोगों के लिए आगे बढकर स्वेछा से प्लाज्मा डोनेट करें। प्लाज्मा डोनेशन का शरीर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि आप दूसरे कोविड संक्रमित मरीज को ठीक होने में सहयोग करते हैं।

प्लाज्मा चढ़ाने का काम विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में
इस बीच प्रतिकुलपति डा0 रमाकान्त यादव ने बताया कि कोरोना से पूरी तरह ठीक हुए लोगों के खून में एंटीबॉडीज बन जाती हैं, जो उसे संक्रमण को मात देने में मदद करती हैं। प्लाज्मा थैरेपी में यही एंटीबॉडीज, प्लाज्मा डोनर यानी संक्रमण को मात दे चुके व्यक्ति के खून से निकालकर संक्रमित व्यक्ति के शरीर में डाला जाता है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि दोनों डोनर और संक्रमित का ब्लड ग्रुप एक हो। प्लाज्मा चढ़ाने का काम विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में किया जाता है। उन्होंने बताया कि कोराना संक्रमण से ठीक हुआ कोई भी व्यक्ति क्वारेंटाइन पीरियड खत्म होने के तुरन्त बाद प्लाज्मा डोनर बन सकता है। ब्लड बैंक प्रभारी डा0 अभय सिंह ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी से अत्यंत गंभीर कोरोना मरीजों को शीघ्र स्वस्थ होने में लाभदायक होता है। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा दान के पश्चात् किसी प्रकार की कमजोरी, खून की कमी व इम्यूनिटी में कमी नहीं होती है।

 

 

 

 

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