Edited By Ajay kumar,Updated: 02 Nov, 2019 09:32 AM
अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, कृषि अव्यवस्था और मुक्त व्यापार समझौता के मुद्दों को लेकर कांग्रेस पांच से 15 नवम्बर के बीच देशव्यापी आंदोलन करेगी। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों से कहा कि ‘मंदी और...
लखनऊ: अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, कृषि अव्यवस्था और मुक्त व्यापार समझौता के मुद्दों को लेकर कांग्रेस पांच से 15 नवम्बर के बीच देशव्यापी आंदोलन करेगी। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों से कहा कि ‘मंदी और तालाबंदी' मौजूदा भाजपा सरकार की पहचान बन गए हैं। देश की अर्थव्यवस्था ‘वेंटिलेटर' पर है। न नौकरी है, न रोजगार, और कृषि क्षेत्र पर तो मंदी का दंश और भी बुरा है। डूबती अर्थव्यवस्था, घटती बचत, व्यापार की तालाबंदी और बैंक घोटालों में जनता के पैसे की लूट ने यह साबित कर दिया है कि भाजपा सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था का दीवाला निकाल दिया है।
उन्होने कहा कि भाजपा सरकार ने देश की वित्तीय स्वायत्ता एवं आर्थिक स्थिरता को दांव पर लगा दिया है। सच्चाई यह है कि भारत ‘वित्तीय आपातकाल' की स्थिति में है। जले पर नमक छिड़कते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी महीने में चीन समेत 15 देशों के साथ एक मेगा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने का निर्णय किया है। रीज़नल कंप्रेहेंसिव इकॉनॉमिक पाटर्नरशिप एग्रीमेंट यानी आरसेप नामक इस समझौते से देश चीन एवं अन्य विदेशी उत्पादों के लिए एक डंपिंग ग्राउंड बन जाएगा।
माकन ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को बदहाली की तरफ ढकेलने का प्रयास कर रही मोदी सरकार के खिलाफ चार सूत्रीय मुद्दे को लेकर कांग्रेस पांच नवम्बर से देश व्यापी आंदोलन खड़ा करेगी। उत्तर प्रदेश में ब्लाक स्तर से आंदोलन की शुरूआत की जायेगी। जनता के सामने देश की बदहाली की जिम्मेदार सरकार का असली चेहरा लाया जायेगा।
माकन ने कहा कि कृषि सेक्टर की जीडीपी वित्तवर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में गिरकर मात्र 2 प्रतिशत रह गई है। किसानों को लागत 50 प्रतिशत मुनाफा समर्थन मूल्य के तौर पर देने की बजाए भाजपा सरकार ने किसानों को बाजारी ताकतों के भरोसे छोड़ दिया है। उन्होने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पर भाजपा सरकार का पहला प्रहार नोटबंदी था। दूसरा आघात जीएसटी से किया। अब तीसरी चोट चीन सहित 15 पूर्व एशियाई देशों के मेगा रीज़नल फ्री ट्रेड एग्रीमेंट-रीज़नल कंप्रेहेंसिव इकॉनॉमिक पाटर्नरशिप एग्रीमेंट (आरसेप) पर भाजपा सरकार के हस्ताक्षर के रूप में लगने वाली है। 72 सालों में पहली बार भारत को चीन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। वित्तीय संकट की गंभीर स्थिति को देखते हुए इस समय आरसेप का एग्रीमेंट भारत की अर्थव्यवस्था, कृषि सेक्टर एवं रोजगार के निर्माण के लिए जानलेवा साबित होगा।