Edited By Ajay kumar,Updated: 30 Oct, 2019 07:28 PM
कांग्रेस पार्टी भले ही लाख दावा करे कि वो अपने कार्यकर्ताओं के सुख दुःख में उनका साथ देती है, लेकिन उनके दावे खोखले साबित हो रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के खोखले वादों की पोल कानपुर में कोंग्रेसी नेता के परिवार ने खोलकर रख दी। बता दें कि चकेरी थाना...
कानपुर: कांग्रेस पार्टी भले ही लाख दावे करे कि वो अपने कार्यकर्ताओं के सुख दुःख में उनका साथ देती है, लेकिन उनके दावे खोखले साबित हो रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के खोखले वादों की पोल कानपुर में कांग्रेसी नेता के परिवार ने खोलकर रख दी। जहां अपने बेटे शोएब की हत्या के बाद मां और बहन इंसाफ के लिए दर-दर भटक रही हैं, लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
बता दें कि चकेरी थाना क्षेत्र के रहने वाले कांग्रेसी कार्यकर्ता शोएब की 9 सितम्बर को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शोएब की हत्या के बाद परिजनों ने अपनी तहरीर में रवींद्र यादव और उसकी पत्नी व माता-पिता की हत्या करने का आरोपी बताया था। पुलिस ने शोएब के परिजनों की तहरीर पर सबको अपनी हिरासत में लिया था, लेकिन पुलिस ने केवल रवींद्र के खिलाफ कार्रवाई करी जबकि बाकी को छोड़ दिया गया।
प्रियंका गांधी ने ट्वीट द्वारा किया था अफ़सोस
शोएब की हत्या होने के बाद कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सांत्वना देने उसके घर पहुंचे थे और कार्रवाई का पूरा भरोसा दिलाया था। प्रियंका गांधी ने भी शोएब की ह्त्या के बाद ट्वीट करके अफ़सोस जाहिर किया था। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं ने शोएब के परिजनों को भरोसा तो दिलाया लेकिन वो केवल दिखावा साबित हुआ।
किस तरह कर रही अपने बेटे को याद एक मां
शोएब के परिजन कांग्रेस पार्टी और पुलिस के इस रवैये के बाद से काफी गमजदा है। शोएब की मां नादिरा बेगम अपने बेटे की तस्वीर को देखकर बार उनकी आंखों में से आंसू निकल आते हैं उनके मुंह से बार-बार केवल एक शब्द ही निकल रहा है कि मेरे बेटे तू मुझे छोड़कर क्यों चला गया।
मृतक शोएब की मां और बहन का कहना है कि रवींद्र यादव के साथ-साथ उसकी मां व पत्नी भी बराबर की दोषी है क्योंकि बन्दुक व गोली उन्होंने ही लाकर दी थी और कहा था कि इसको जान से मार डालो। उन्होंने बताया कि जब वह एसएसपी के ऑफिस पहुंचे तब उन्होंने भी उनसे यह कहकर टाल दिया कि क्या वारदात के समय पर वह मौजूद थे। सभी ने वादे किए थे पर अब कोई सामने नहीं आ रहा है, चाहे वह इंसाफ की बात हो या आर्थिक मदद की।