Edited By Anil Kapoor,Updated: 20 Dec, 2018 04:10 PM
तीन राज्यों में सरकार बनने की खबरों के बीच कांग्रेस के लिए यूपी से खबर अच्छी नहीं आ रही है। संकेत मिल रहे हैं कि वहां के दोनों प्रमुख दल सपा व बसपा ने फिलहाल कांग्रेस से दूरी बना ली है, जिससे महागठबंधन पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है।
लखनऊ: तीन राज्यों में सरकार बनने की खबरों के बीच कांग्रेस के लिए यूपी से खबर अच्छी नहीं आ रही है। संकेत मिल रहे हैं कि वहां के दोनों प्रमुख दल सपा व बसपा ने फिलहाल कांग्रेस से दूरी बना ली है, जिससे महागठबंधन पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है। दरअसल कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोहों में अखिलेश यादव व मायावती की अनुपस्थिति ने इन अटकलों को हवा दी है।
कांग्रेस यूपी में कमजोर है और उसके लिए इन दोनों प्रमुख दलों को साथ लेकर चलना मजबूरी है। 2019 के चुनावों को देखते हुए अगर कांग्रेस यूपी में गठबंधन नहीं करती है उसे भारी नुकसान होगा। यूपी का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने सपा के साथ मिलकर लड़ा था लेकिन कैराना के उपचुनाव के बाद से अखिलेश व राहुल गांधी के बीच खटास आ गई। वहां कांग्रेस ने संयुक्त प्रत्याशी को खुलकर सपोर्ट नहीं किया था।
अखिलेश और मायावती जानते हैं कि यूपी में उनका वजूद कांग्रेस से बड़ा है और इसलिए वे कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोहों से दूर ही रहे। खबर यह भी हैं कि दोनों दलों ने तय कर लिया है कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा। इन खबरों के बीच कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा कि बातचीत के दरवाजे खुलने या बंद होने की कोई बात नहीं है। अभी किसी स्तर पर बातचीत नहीं हुई है। लेकिन सब यही चाहते हैं वोट का बंटवारा नहीं हो। अभी किसी निष्कर्ष पर मत पहुंचिए, क्योंकि यह समय पूर्व बात होगी। जनवरी और फरवरी का इंतजार करिए।
इस बीच सपा ने भी गठबंधन को अंतिम रूप देने की बात को खारिज किया है। सपा प्रवक्ता घनश्याम तिवारी ने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले दिनों एक सार्वजनिक मंच पर गठबंधन के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि इस दिशा में दोनों दल जनता की भावनाओं को समझते हुये गंभीर रूप से प्रयासरत हैं लेकिन इसे अंतिम रूप देने में थोड़ा समय लगेगा। तिवारी ने कहा कि इस तरह की कोई भी रिपोर्ट सच्चाई से रहित है जिसका कोई आधार नहीं है।