Edited By Deepika Rajput,Updated: 27 Aug, 2018 02:49 PM
इटावा में भगवान विष्णु की नगरी बसाने के सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के ऐलान से पार्टी समर्थक बहुत उत्साहित हैं। समर्थकों का दावा है कि राम मंदिर के नाम पर हिंदुत्व की राजनीति करने वाली बीजेपी के उलट पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विकास की राजनीति के साथ...
इटावाः इटावा में भगवान विष्णु की नगरी बसाने के सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के ऐलान से पार्टी समर्थक बहुत उत्साहित हैं। समर्थकों का दावा है कि राम मंदिर के नाम पर हिंदुत्व की राजनीति करने वाली बीजेपी के उलट पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विकास की राजनीति के साथ धर्म-कर्म में भी विश्वास करते हैं। इसी आस्था के चलते उन्होने यह घोषणा की। समर्थकों को विश्वास है कि सपा अध्यक्ष के इस ऐलान से मंदिर का नाम अलपाने वाली भाजपा बैकफुट पर आई और पर्यटन के लिहाज से उपेक्षित चंबल में भगवान विष्णु की नगरी बसाने और मंदिर निर्माण से वहां पर विकास की एक नई ज्वाला का उदगम होना तय है।
बता दें कि, अखिलेश यादव ने हाल ही में कंबोडिया के विश्व प्रसिद्ध ओंकारवाट मंदिर की तर्ज पर इटावा में विष्णु मंदिर बनाने की मंशा जाहिर की थी। हालांकि, उनका कहना था कि सत्ता में आने के बाद वह इस कार्य को प्राथमिकता से कराएंगे। वैसे अखिलेश यादव पर इस बात के आरोप लगते हैं कि वो पूजा पाठ से दूर रहते हैं, लेकिन उनके बेहद करीबी इस बात का दावा करने से नहीं चूकते कि इस तरह की बातें कहने वाले लोग भगवान में आस्था दिखाने के नाम पर पांखड को बढ़ावा देते हैं। अखिलेश यादव दिखावा करने से दूर रहते हैं।
सपा समर्थकों का कहना है कि अखिलेश ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में अयोध्या, वृंदावन और मथुरा आदि स्थानों पर मंदिरों का निर्माण करवाया है। वही दूसरी ओर से अपने गृहनगर सैफई मे आयोजित होने वाले भव्य सैफई महोत्सव की शुरूआत ही हनुमान जी की पूजा अर्चना से शुरू कराते रहे हैं। पूजा अर्चना के लिए बहुत ही शानदार मूर्ति स्थापित कराई जाती थी। उसके बाद उसका प्रवाह करवा दिया जाता था। यह क्रम आज से नहीं बल्कि करीब डेढ़ दशक से अधिक वक्त से चला आ रहा है।