क्या ऐसे होगा Clean India: जिस शहर से हुई 'स्वच्छता अभियान' की शुरुआत... वहीं लगा गंदगी का बेतहाशा अंबार

Edited By Umakant yadav,Updated: 20 Oct, 2021 01:04 PM

city from where the cleanliness campaign started a huge pile of dirt

पूरे देश में 1 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर तक सरकार का विशेष स्वच्छता अभियान के कार्यक्रम का आयोजन जगह जगह किया जा रहा है। जिस शहर से इस अभियान की शुरुआत हुई थी या कहे की जिस जगह केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने स्वच्छता को लेकर के इस मुहिम की शुरुआत...

प्रयागराज: पूरे देश में 1 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर तक सरकार का विशेष स्वच्छता अभियान के कार्यक्रम का आयोजन जगह जगह किया जा रहा है। जिस शहर से इस अभियान की शुरुआत हुई थी या कहे की जिस जगह केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने स्वच्छता को लेकर के इस मुहिम की शुरुआत की आज वही जगह बदहाली के आंसू बहा रही है। संगम शहर प्रयागराज का संगम क्षेत्र आज कूड़े के अंबार से पटा हुआ है। जिस जगह लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं उसी जगह गंदगी का अंबार भी देखा जा रहा है।

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देश के कोने-कोने से आ रहे श्रद्धालु इस गंदगी को देखकर के आश्चर्यचकित हैं। उनका कहना है कि इसमें सरकार की लापरवाही ज्यादा हैं क्योंकि ना तो कहीं कोई सफाई कर्मी दिखाई दे रहा है और ना ही स्वच्छता को लेकर के मेला प्राधिकरण या नगर निगम गंभीर दिखाई दे रहा है। संगम तट पर प्रतिबंधित पॉलिथीन भी जगह जगह दिखाई दे रही है। श्रद्धालु कूड़े के अंबार के बगल ही पूजा पाठ करने को मजबूर हैं। 

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संगम नगरी प्रयागराज में लगे देश दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले माघ के दौरान जिस संगम क्षेत्र की पूजा होती रही, बड़े बड़े संत महात्मा पूरे क्षेत्र में जप करते रहे... जो भूमि हर साल 55 दिनों तक दुनिया में आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बनी रहती है वो संगम क्षेत्र आज बेसहारा है। यह वही संगम क्षेत्र है जिस का जल दुनिया के कोने कोने में पहुंचता है। श्रद्धालु यहां आकर आस्था की डुबकी लगाते हैं लेकिन आज वही माँ गंगा अपने बदहाली के आंसू बहा रही है। आज पूरे संगम क्षेत्र पर गंदगी का अंबार है।

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गंगा के पानी में पॉलिथीन, फूल माला, समेत कई और भी गंदगी देखने को मिल रही है। संगम तट पर भगवान की टूटी हुई मूर्तियां भी पड़ी हुई है। हालत इतने बदतर हैं कि देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु देख कर के आश्चर्यचकित हैं।

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श्रद्धालुओं का कहना है कि वह गंगा में आस्था की डुबकी लगाने आए थे लेकिन गंदगी देख कर के वह केवल आचमन करके ही चले जा रहे हैं। श्रद्धालुओं ने गंगा की बदहाली को देख कर के 80 फीसदी जिम्मेदारी सरकार की बताई है जबकि 20 फीसदी ज़िम्मेदारी आम जनता की बताई है। श्रद्धालुओं का कहना है कि संगम क्षेत्र में कोई भी सरकारी अमला मौजूद नहीं है जो श्रद्धालुओं को गंदगी करने के लिए मना कर सकें। गंगा के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए का बिल पास होता है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही दिखाई दे रही है। उधर साधु संत भी गंगा की तस्वीर को देखकर काफी नाराज हैं।शंकराचार्य विश्वेश्वरा नंद महाराज का कहना है कि माघ मेला खत्म होने के बाद से ही गंदगी का अंबार संगम क्षेत्र में देखने को मिलता है। जब कोई विशेष कार्यक्रम होता है तभी संगम क्षेत्र की सफाई होती है। सरकार को संगम के महत्व को समझना चाहिए और समय-समय पर गंगा सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि हर दिन संगम तट पर देश के कोने-कोने से लोग आते हैं।

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बता दें कुछ दिन पहले ही केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर संगम नगरी प्रयागराज पहुंचे थे। जहां उन्होंने 1 अक्टूबर से लेकर के 31 अक्टूबर तक चलने वाले स्वच्छता अभियान की शुरुआत की थी। 1 महीने तक आयोजित इस कार्यक्रम का नाम क्लीन इंडिया रखा गया है जो देश के सभी 744 जिलों में आयोजित हो रही है।

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