चिन्मयानंद ब्लैकमेलिंग केस: HC से पीड़ित छात्रा को नहीं मिली राहत, याचिका खारिज

Edited By Deepika Rajput,Updated: 23 Sep, 2019 01:52 PM

chinmayananda blackmailing case

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिन्मयानंद ब्लैकमेलिंग मामले में पीड़ित छात्रा की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की अर्जी पर किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और मंजू रानी चौहान की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।...

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिन्मयानंद ब्लैकमेलिंग मामले में पीड़ित छात्रा की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की अर्जी पर किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और मंजू रानी चौहान की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। सुनवाई के समय पीड़िता भी कोर्ट में मौजूद थी।

पीड़ित छात्रा ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने कहा कि यदि छात्रा इस संबंध में कोई राहत चाहती है तो वह उचित पीठ के समक्ष नई याचिका दायर कर सकती है। अदालत ने कहा कि यह पीठ इस मामले में केवल जांच की निगरानी करने के लिए नामित की गई है और गिरफ्तारी के मामले में रोक लगाने का कोई आदेश पारित करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। अदालत ने चिन्मयानंद मामले में एसआईटी की प्रगति रिपोर्ट पर संतोष जताया और आगे की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 22 अक्तूबर, 2019 की तारीख तय की।

कोर्ट के समक्ष पीड़ित छात्रा ने दूसरी प्रार्थना यह की थी कि मजिस्ट्रेट के समक्ष CRPC की धारा 164 के तहत दर्ज कराया गया बयान ठीक नहीं था। उसे नया बयान दर्ज कराने की अनुमति दी जाए। कोर्ट ने उसकी यह प्रार्थना भी स्वीकार नहीं की। कोर्ट ने कहा कि नए बयान के लिए आवेदन में संबंधित मजिस्ट्रेट के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया है और न ही पीड़ित छात्रा का नया बयान दर्ज कराने के लिए कोई प्रावधान दर्शाया गया है। केवल यह आरोप लगाया गया है कि उसके केवल अंतिम पेज पर हस्ताक्षर लिए गए हैं।

उसका बयान दर्ज किए जाते समय एक महिला मौजूद थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि चैंबर में महिला की मौजूदगी केवल इसलिए थी ताकि पीड़ित छात्रा अपना बयान दर्ज कराने के दौरान सहज और सुरक्षित महसूस कर सके। इससे पूर्व एसआईटी ने अदालत के समक्ष एक सीलबंद लिफाफे में जांच की प्रगति रिपोर्ट और केस डायरी पेश की। इस प्रगति रिपोर्ट का सारांश देखने के बाद कोर्ट ने पाया कि एसआईटी की जांच सही ढंग से चल रही है और पीड़ित छात्रा ने अपने आवेदन में एसआईटी द्वारा जांच में किसी तरह की अनियमितता का आरोप नहीं लगाया है।

उल्लेखनीय है कि इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर, 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट को इस मामले की जांच की निगरानी का निर्देश दिया था और साथ ही पीड़ित छात्रा के परिजनों की सुरक्षा को देखने को कहा था। इससे पूर्व, हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि एसआईटी का एक जिम्मेदार सदस्य जांच की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करेगा।

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