कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही छुट्टी पर भेजे गए सैफई मेडिकल यूनीवर्सिटी के कुलपति

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 10 May, 2021 02:30 PM

chancellor of saifai medical university sent on leave

उत्तर प्रदेश के इटावा में सैफई मेडिकल यूनीवर्सिटी के कुलपति प्रो.राजकुमार को छुट्टी पर भेज दिया है। प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने यूनीवर्सिटी में कार्यवाहक कुलपति की तैनाती के संबंध में आदेश जारी किया है। पत्र में बताया गया है कि कुलपति का कार्यकाल...

इटावाः उत्तर प्रदेश के इटावा में सैफई मेडिकल यूनीवर्सिटी के कुलपति प्रो.राजकुमार को छुट्टी पर भेज दिया है। प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने यूनीवर्सिटी में कार्यवाहक कुलपति की तैनाती के संबंध में आदेश जारी किया है। पत्र में बताया गया है कि कुलपति का कार्यकाल 31 मई को समाप्त हो रहा है, नए कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है हालांकि तब तक प्रतिकुलपति डा.रमाकांत यादव को कुलपति का चार्ज दिया गया है।

कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही कुलपति को छुट्टी पर भेजे जाने का कारण कोरोना काल में यूनीवर्सिटी में व्याप्त अव्यवस्थाएं बताई जा रहीं हैं। प्रतिकुलपति डा. रमाकांत यादव को कुलपति का चार्ज दिया गया है हालांकि नए कुलपति की तलाश भी की जा रही है। प्रतिकुलपति डा.रमाकांत यादव ने बताया कि आदेशानुसार उन्होंने कुलपति का चार्ज ले लिया है। शासन ने सैफई विश्वविद्यालय इटावा अधिनियम 2015 की धारा 11(10) के अंतर्गत विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति को 31 मई अथवा नये कुलपति की नियुक्ति तक अथवा जो भी पहले हो के लिए कुलपति के कर्तव्यों के निर्वहन हेतु अधिकृत किये जाने का निर्णय लिया गया है।

पत्र में लिखा है कि सैफई यूनीवर्सिटी के वर्तमान कुलपति को बचे शेष कार्यकाल में अवकाश पर जाने का अनुरोध किया जाता है और वह तत्काल प्रभाव से अवकाश पर माने जायेंगे। साथ ही निर्देश जारी किया गया कि शासन की ओर से लिए गये निर्णय अनुपालन सुनिश्चित करने का कष्ट करे। इसके साथ ही पिछले तीन सालों से सैफई विश्वविद्यालय में चला आ रहा राजकुमार के कार्यकाल के रथ का पहिया बीच रास्ते मे ही थम गया।

पिछले महीने से सैफई यूनीवर्सिटी कोरोना महामारी के हाहाकार से जूझ रहा था। आक्सीजन की कमी, सेनेटाइजर, मास्क,ग्लब्स,पीपीई किट और जीवन रक्षक दवाओं की कमियों को शासन ने कुलपति को अवकाश पर माने जाने का निर्णय ले लिया। सूत्र बताते है कि पिछले महीने शासन से विश्वविद्यालय को 5 करोड़ 75 लाख का बजट दिया गया जिसमें 50 लाख दवा,1 करोड़ 25 लाख पीपीई किट के लिये और 4 करोड़ टेस्ट किट के लिये दिये गये लेकिन उसके बाद भी दवा और सामान के लिये हाहाकार मचा रहा। नतीजन जे आर डाक्टरो को सामान उपलब्ध ना होने की वजह से हड़ताल भी करना पड़ी। जिसकी कई लिखित शिकायते शासन को भेजी गयी। 

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