Edited By Deepika Rajput,Updated: 17 Jun, 2018 01:58 PM
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित 3 राज्यों में फैली राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी से बालू खनन पर प्रतिबंध होने के बावजूद अवैध खनन का कारोबार थम नहीं रहा है। जिससे नदी में पाए जाने वाले दुर्लभ प्रजाति के जलचरों को नुकसान हो रहा है।
इटावा: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित 3 राज्यों में फैली राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी से बालू खनन पर प्रतिबंध होने के बावजूद अवैध खनन का कारोबार थम नहीं रहा है। जिससे नदी में पाए जाने वाले दुर्लभ प्रजाति के जलचरों को नुकसान हो रहा है।
दुर्लभ प्रजाति के जलचरों को नुकसान नहीें हो इसलिए लंबे अर्से से चंबल नदी में किसी भी तरह के खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा है, लेकिन खनन माफियाओं की घुसपैठ किसी से भी छुपी नहीं है। कुछ समय पहले चंद ऊंटों के माध्यम से ही यह खनन होता था, लेकिन अब इसका दायरा व्यापक हो चला है। चंबल नदी में ऊंटों के जरिए अवैध खनन कहीं ओर नहीं बल्कि इटावा में हो रहा है।
उत्तर प्रदेश सरकार के अवैध खनन पर सख्त निर्देश है, लेकिन उसके बाद भी दूरस्थ चंबल नदी में ऊंटों के जरिए खनन माफियाओं के गुर्गे बेखौफ खनन में लगे हैं। चंबल नदी में बसवारा गांव के किनारे इस तरह से खनन किया जाता है। करीब दो सौ से अधिक ऊंट पूरे दिन बालू निकालते और कोई भी उनको कुछ नहीं कहता है।