Edited By Ajay kumar,Updated: 11 Nov, 2019 03:45 PM
सरकारी कर्मचारी व विभाग कभी गबन से पीछे नहीं रह सकता। गबन से संबंधित बहुत सा मामला सामने आता है। मगर भ्रष्टाचारी कि
फर्रुखाबादः सरकारी कर्मचारी व विभाग कभी गबन से पीछे नहीं रह सकता। गबन से संबंधित बहुत सा मामला सामने आता है। मगर भ्रष्टाचारी कि इंतहा तब हद पार कर गयी जब मामला सेंट्रल जेल में गबन का सामने आया। 1997 से 2018 तक ओपी ट्रेडर्स का सेंट्रल जेल पर 45,21,770 रुपए का बकाया चल रहा था। सेंट्रल जेल अधीक्षक ने ठेकेदार का भुगतान करने के लिए उसी से पांच लाख रुपए सुविधा शुल्क मांगने का आरोप लगाया है। जिसकी लिखित शिकायत ठेकेदार ने मुख्यमंत्री से की है।
मामला यह है कि 1997 से ओपी ट्रेडर्स फार्म ठेकेदार ओमप्रकाश केंद्रीय कारागार में समान की आपूर्ति करते थें। जिसका समय-समय पर भुगतान भी किया जाता था। तत्कालिन जेल अधीक्षक वेद प्रकाश त्रिपाठी के जाने के बाद कुछ महिनों तक तो काम चलता रहा मगर नए जेल अधीक्षक एसएचएम रिजवी के आने के बाद नए जेल अधीक्षक ने अधिक कमीशन(5 लाख) कि मांग की जिसे ठेकेदार ने मना कर दिया।
ठेकेदार के मना करने के बाद उसका ठेका भी निरस्त कर दिया गया। जिसकी लिखित शिकायत ठेकेदार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दर्ज की है। एक तरफ भुगतान के लिए फर्म के मालिक अधिकारियों के चक्कर लगा कर परेशान हो चुके हैं वहीं जेल अधीक्षक आपूर्ति के कागजो में फेरबदल करने के साथ भुगतान को फंसाने का काम भी कर रहें हैं।
वहीं ठेकेदार ओमप्रकाश का कहना है कि यदि समय रहते भुगतान नहीं किया गया तो बैंक मेरी पैतृक संपत्ति कुर्क कर लेगी। मैं सड़क पर आ जाऊंगा। ठेकेदार ने आगे बताया कि मामले को लेकर सभी अधिकारियों, आईजी जेल तक कई बार शिकायत दर्ज करा चुके हैं। जब अधिकारियों ने जेल अधीक्षक पर भुगतान करने का दवाव बनाया तो उन्होंने आपूर्ति बंद करके प्राइवेट तौर पर जेल में सप्लाई शुरू करा ली। योगी सरकार में जहां पर भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है वहीं सेंट्रल जेल के अंदर यह बहुत तेजी से पनप रहा है।