सेना भर्ती मामले में सीबीआई ने की पूछताछ

Edited By Ajay kumar,Updated: 20 Mar, 2020 09:48 AM

cbi interrogated in army recruitment case

फर्जी निवास प्रमाण पत्रों के जरिये सेना में शामिल होने के करीब चार साल पुराने मामले में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने यहां लेखपालों, तहसील...

हमीरपुर: फर्जी निवास प्रमाण पत्रों के जरिये सेना में शामिल होने के करीब चार साल पुराने मामले में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने यहां लेखपालों, तहसील कर्मचारियों, प्रधानों और दो अधिवक्ताओं से पूछताछ की। CBI के अधिकारियों ने एकल खिड़की के माध्यम से निवास बनाने वाले ठेकेदार एवं कर्मचारियों से भी मामले के संबधित दर्ज किये। प्रमाण पत्र जारी होने के दौरान चल रहे फार्मेट के बजाय पुराने फार्मेट में प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। साथ ही आवेदनों में लेखपालों की भी रिपोर्ट आवेदकों के संबंधित गांव निवासी न होने की लगाई गई है। इसके बावजूद फर्जी निवास प्रमाण पत्र जारी होने को लेकर एनआइसी की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। CBI इसके साक्ष्य जुटाने में लगी है।

बता दें कि तीन अगस्त से 16 अगस्त 2016 के बीच कानपुर कैंट में हमीरपुर समेत कुछ अन्य जिलों के युवकों के लिए सेना भर्ती रैली का आयोजन किया गया था जिसमें सेंध लगाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश व हरियाणा निवासी 34 अभ्यर्थी जिले के पतों पर फर्जी निवास प्रमाणपत्र बनवा भर्ती हो गए थे। अभिलेखों के सत्यापन के दौरान यह मामला सामने आया। देश की सुरक्षा से जुड़े इस गंभीर मामले में CBI ने प्रारंभिक जांच में इसमें कई अधिकारियों की संलिप्तता पाई।

CBI लखनऊ की एंटी करेप्शन ब्रांच ने मामले में 40 नामजद और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज कराया था। मामले की जांच को आई तीन सदस्यीय CBI टीम ने मुख्यालय के मौदहा बांध कैंप कार्यालय में डेरा जमाया है। टीम ने दूसरे दिन संबंधित गांवों में प्रधानों, लेखपालों व तत्कलीन तहसील कर्मचारियों के साथ दो अधिवक्ताओं से पूछताछ की। जिसमें राजस्व निरीक्षक जयकरन सचान, कुरारा के तत्कालीन लेखपाल प्रमोद कुमार, मोहम्मद अली समेत अन्य लोग शामिल है।

वर्ष 2012 में आय, जाति व निवास प्रमाण पत्र जारी करने को एकल खिड़की व्यवस्था संचालित की गई थी। जिसका ठेका नवीन कुमार मेजा निवासी प्रयागराज ने लिया। जिनमें पांच से छह कर्मचारी यहां काम देखते थे। जिनसे सीबीआइ ने पूछताछ की। नवीन कुमार ने बताया कि जिस समय प्रमाण पत्र जारी हुए उससे पूर्व उनका ठेका समाप्त हो गया था और यह ऑन लाइन बनने लगे थे। इसके अलावा हमीरपुर तहसील में बैठने वाले दो अधिवक्ताओं को तलब कर सीबीआइ ने पूछताछ की। फर्जी निवासी बनवाने में अधिक्ताओं द्वारा आवेदन संबंधित बाबूओं तक पहुंचाए गए थे। अधिवक्ताओं ने सीबीआइ को बताया कि उन्हें एक निवास के एवज में तीन सौ रुपये मिलते थे। जिनमें 200 रुपये संबंधित बाबू को देते थे। सीबीआइ ने उन्हें लखनऊ तलब किया है।   

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