सावधानः लैंगिक अपराधों में महिलाओं और बच्चों को करीबियों से है ज्यादा खतरा

Edited By Umakant yadav,Updated: 06 Oct, 2020 07:11 PM

caution women and children are more threatened by crimes than close ones

उत्तर प्रदेश में महिलाओं एवं नाबालिग बच्चों के विरूद्ध लैंगिक अपराधों में तीन चौथाई से अधिक ऐसे मामले है जिन्हें घर अथवा करीबी रिश्तेदार अथवा दोस्त ने अपना शिकार बनाया है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में महिलाओं एवं नाबालिग बच्चों के विरूद्ध लैंगिक अपराधों में तीन चौथाई से अधिक ऐसे मामले है जिन्हें घर अथवा करीबी रिश्तेदार अथवा दोस्त ने अपना शिकार बनाया है। हालांकि लैंगिक अपराधों से सम्बन्धित मामलों में सजा दिलाने में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार देश में अव्वल रही है। 

UP में 2531 मामलों में अभियुक्त पीड़ित से था परिचित
एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित आकड़ों के अनुसार बाल अपराधों में उत्तर प्रदेश में 2531 मामलों में अभियुक्त पीड़ित से परिचित था, 247 मामलों में घर के सदस्य से, 1716 मामलों में पारिवारिक दोस्त व पड़ोसी, 566 मामलों में दोस्त व आनलाइन फ्रेंडस थे, 813 मामलों में अभियुक्त अज्ञात या पीड़ित से परिचित नहीं थे। इसी प्रकार 75.7 प्रतिशत मामलों में अभियुक्त किसी न किसी तरह से परिचित थे, जबकि परिचित अभियुक्तों का राष्ट्रीय औसत 94.1 है।

यूपी में बाल अपराध मामलों में सजा का प्रतिशत 55.2 रहा
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने मंगलवार को बताया कि महिला एवं बाल अपराध से सम्बन्धित मामलों में यूपी में सजा का प्रतिशत 55.2 रहा है, जो देश के अन्य राज्यों से काफी अधिक है। क्राइम इन इण्डिया-2019 के आंकड़ों के अनुसार पूरे राज्य में महिलाओं के विरूद्ध सजा के मामलों में उत्तर प्रदेश में 8059 मामले दोष सिद्ध कराए गए हैं, जबकि इसकी तुलना में राजस्थान में 5625 मामले, मध्य प्रदेश में 4191 मामले, आन्ध्र प्रदेश में 608 मामले और महाराष्ट्र में 1552 मामले दोष सिद्ध हुए हैं।

इस वर्ष सितम्बर मास तक कुल 1835 महिला अपराधों का निस्तारण हुआ
अवस्थी ने बताया कि इस वर्ष 2020 में जनवरी से सितम्बर तक की अवधि में प्रदेश में कुल 57 बलात्कार के मामलों में अभियुक्तों को 10 वर्ष या आजीवन कारावास से दण्डित कराया गया है। इस अवधि में प्रदेश में कुल 151 पॉस्को एक्ट के मामलों में भी सजा करायी गयी है। इस वर्ष सितम्बर मास तक कुल 1835 महिला अपराधों से सम्बन्धित वादों का निस्तारण हुआ, जिनमें से 612 मामलों में अभियुक्तों को सजा दिलायी गई है। एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित क्राइम इन इण्डिया 2019 के आकड़ों के अनुसार देश के न्यायालयों में महिला सम्बन्धी वादों के निस्तारण की द्दष्टि से तुलनात्मक अध्ययन करने पर उत्तर प्रदेश में कुल 15116 मामलें निस्तारित हुए, जबकि कई अन्य राज्यों यथा मध्यप्रदेश में 18265, महाराष्ट्र में 13215, राजस्थान में 13840, आन्ध्रप्रदेश में 11557 मामले निस्तारित हुए हैं।

बाल अपराध में UP में 22219 अभियुक्त हुए गिरफ्तार
आकड़ों के अनुसार बाल अपराधों में वर्ष-2019 में पूरे देश में सर्वाधिक 4120 अपराधियों को प्रभावी अभियोजन के फलस्वरूप न्यायालय द्वारा सजा दी गई, जबकि यह संख्या मध्यप्रदेश में 3077, छत्तीसगढ़ में 1295, राजस्थान में 1270 थी। बाल अपराध के मामलों में मिजोरम, मणिपुर, उत्तराखण्ड राज्यों के बाद देश में सर्वाधिक दोषसिद्धि का दर उत्तर प्रदेश का है जो 61.2 है। देश के सभी बड़े राज्यो की तुलना में उत्तर प्रदेश में बाल अपराध में दोषसिद्धि का दर सर्वाधिक है। बाल अपराध में पूरे देश में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 22219 अभियुक्त गिरफ्तार हुए, जबकि मध्यप्रदेश में 14317 महाराष्ट्र में 13606 और बिहार में 9113 अभियुक्त गिरफ्तार हुए।

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