जातिगत आरक्षण राष्ट्र के विकास में बाधा: नरेन्द्र गिरी

Edited By Ruby,Updated: 22 Sep, 2018 12:46 PM

caste reservation hinders development of nation narendra giri

साधु संतो की जानीमानी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा कि जातिगत आरक्षण राष्ट्र के विकास में हितकर नहीें है। जातिवाद की गंदी राजनीति पर आधारित आरक्षण का गंदा खेल भारतीय संविधान की मूल आत्मा के विरूद्ध है। यह धर्म,...

इलाहाबादः साधु संतो की जानीमानी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने कहा कि जातिगत आरक्षण राष्ट्र के विकास में हितकर नहीें है। जातिवाद की गंदी राजनीति पर आधारित आरक्षण का गंदा खेल भारतीय संविधान की मूल आत्मा के विरूद्ध है। यह धर्म, न्याय एवं जनतंत्र के मूल सिद्धान्तों के खिलाफ है तथा ब्रेन ड्रेन (प्रतिभा पलायन) की समस्या को जन्म दे रहा है।  

गिरी ने कहा कि आरक्षण भारतीय जनमानस के बीच भेद-भाव पैदा कर रहा है, वैमनस्य का विष घोल रहा है तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता को विखंडित कर रहा है। देश में किसी भी तरह के आरक्षण के लिए मूल आधार आर्थिक स्थिति को बनाया जाए न कि जाति को आधार पर बना आरक्षण दिया जाए। अयोग्य व्यक्ति जब ऊंचे पदों पर पहुंच जाते है तो न समाज का भला होता है और न ही देश का। आरक्षण जैसी चीजें मूल जरूरत मंदों के पास तक नहीं पहुंच पाती। लोगों को नाम के आगे जाति में सिर्फ हिन्दू लिखना चाहिए न/न कि ब्राह्मण, वैश्य और मुस्लिम। जब जाति ही नहीं रहेगी तो आरक्षण स्वत: ही समाप्त हो जायेगा।  

महंत गिरी ने कहा कि एक षडय़ंत्र के तहत सनातन धर्म को कमजोर करने के लिए हिन्दू से हिन्दू को लड़वाया जा रहा है जिसका मुख्य कारण जाति प्रथा ही है। जाति प्रथा नहींं होगी तो आरक्षण भी नहीं होगा। एक सवाल के जवाब में कहा कि देश में बड़े पैमाने पर ईसाई मिशनरी गरीब, बेरोजगार लोगों को प्रलोभन देकर उनका धर्मांतरण करा रहे हैं, जो अनुचित है। सरकार को धर्मांतरण रोकने के लिए कठोर कानून बनाना चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। ईसाई मिशनरियों के पास आखिर इतना धन कहां से आ रहा है इसकी भी जांच होनी चाहिए।  

मंहत ने कहा कि केवल 13 अखाड़ों को ही मान्यता प्रदान की गयी है। किन्नर कोई अखाड़ा नहीं है। कुंभ 2019 मेला क्षेत्र में केवल मान्यता प्राप्त अखाड़ों को ही भूमि आंवटित की जायेगी, किन्नर अखाड़ा को नहीं। वर्ष 2016 में उज्जैन कुंभ में लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े का महामण्डलेश्वर मनोनीत किए जाने पर उन्होंने कहा कि यदि कोई अपने आप को किसी पदवी से विभूषित करा ले तो कोई कुछ नहीं कर सकता।  

गिरी ने कहा कि मेला क्षेत्र में अन्य श्रद्धालुओं की तरह किन्नर भी आकर स्नान करें, कोई परेशानी नहीं है लेकिन एक गैर मान्यता प्राप्त अखाड़ा के अधिकार से उन्हें यहां भूमि आवंटित नहीं होने दी जायेगी। 
 

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