बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे: निर्माण के लिए काटे गए 1 लाख 90 हजार पेड़

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 22 Dec, 2020 06:10 PM

bundelkhand expressway 1 lakh 90 thousand trees cut for construction

उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा जिलों में यूपीडा एक लाख 89 हजार...

बांदा: उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा जिलों में यूपीडा एक लाख 89 हजार पेड़ काट चुका है। इन काटे गए पेड़ों के सापेक्ष दो लाख 70 हजार पौधे लगवाने की योजना है।

उत्तर प्रदेश वन विभाग (लखनऊ) के वरिष्ठ प्रबंधक अतुल अस्थाना द्वारा हाल में बांदा के आरटीआई कार्यकर्ता कुलदीप शुक्ला को जनसूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत उपलब्ध कराई जानकारी के अनुसार, इटावा से लेकर चित्रकूट जिले तक लगभग 14 हजार, 849 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे 296 किलोमीटर की लंबाई वाले निर्माणाधीन बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के लिए अधिगृहीत भूमि में लगे कुल 1,89,036 छोटे-बड़े पेड़ काटे गए हैं। एक्सप्रेसवे बनने के बाद इन काटे गए पेड़ों के सापेक्ष दो लाख, 70 हजार पौधे सड़क के दोनों किनारों पर लगाने की योजना है, जिसके लिए धनराशि भी निर्धारित हो चुकी है।

बांदा जिले के वन अधिकारी (डीएफओ) संजय अग्रवाल ने मंगलवार को कहा, ‘‘बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए वन मंत्रालय की अनुमति से कार्यदायी संस्था ने 1,89,036 छोटे-बड़े पेड़ कटवाए हैं। वन विभाग एक्सप्रेसवे के पूर्ण निर्माण के बाद इन पेड़ों के सापेक्ष दो लाख 70 हजार पौधे लगवाएगा।'' यह पूछे जाने पर कि इन पेड़ों के कटने से ऑक्सीजन उत्सर्जन की कमी की भरपाई कैसे होगी, अग्रवाल ने कहा, ‘‘उम्र के हिसाब से पेड़-पौधे ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं और कॉर्बनडाईऑक्साइड को ग्रहण करते हैं। इन कटे पेड़ों की वजह से होने वाली ऑक्सीजन उत्सर्जन की कमी फिलहाल कहीं से भी पूरी नहीं होगी।


बुंदेलखंड में पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश रैकवार ने कहा, ‘‘एक्सप्रेसवे के निर्माण में आम, महुआ, अमरूद और बेर जैसे ज्यादातर फलदार पेड़ काटे गए हैं, जबकि वन विभाग छायादार वृक्ष ही लगवाता है।" उन्होंने कहा, "वन विभाग हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर लाखों पौधे लगवाता है, लेकिन रख-रखाव के अभाव में ज्यादातर पौधे नष्ट हो जाते हैं। बमुश्किल 25 से 30 फीसदी पौधे ही बच पाते हैं। यदि एक्सप्रेसवे के किनारे पौने तीन लाख पौधे लगवाए भी गए, तो ज्यादा से ज्यादा 40-50 हजार पौधे ही बच पाएंगे। यह पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है।"

 

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