Edited By Umakant yadav,Updated: 15 May, 2021 09:26 PM
कोरोना संकटकाल में बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार की पहल की बॉम्बे हाईकोर्ट ने सराहना की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और देश का नीति आयोग कोविड प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के ‘यूपी मॉडल'' की तारीफ कर चुका है।...
लखनऊ: कोरोना संकटकाल में बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार की पहल की बॉम्बे हाईकोर्ट ने सराहना की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और देश का नीति आयोग कोविड प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के ‘यूपी मॉडल' की तारीफ कर चुका है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने यूपी मॉडल के तहत बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए किए गए प्रबंधों का जिक्र करते हुए वहां की सरकार से यह पूछा है कि महाराष्ट्र सरकार यहां ऐसा करने पर विचार क्यों नहीं करती। यूपी सरकार ने कोरोना संक्रमण से बच्चों का बचाव करने के लिये सूबे के हर बड़े शहर में 50 से 100 बेड के पीडियाट्रिक बेड (पीआईसीयू) बनाने का फैसला किया है। यूपी सरकार के इस फैसले को डॉक्टर बच्चों के लिये वरदान बता रहे हैं।
कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्रिपल टी यानि ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की रणनीति तैयार की थी, तब ही उन्होंने कोरोना संक्रमण से बच्चों को बचाने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों को अलग से एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया। जिसके तहत ही चिकित्सा विशेषज्ञों ने उन्हें बताया कि कोरोना संक्रमण से बच्चों बचाने और उनका इलाज करने के लिए हर जिले में आईसीयू की तर्ज पर सभी संसाधनों से युक्त पीडियाट्रिक बेड की व्यवस्था अस्पताल में की जाए। चिकित्सा विशेषज्ञों की इस सलाह पर मुख्यमंत्री ने सूबे के सभी बड़े शहरों में 50 से 100 बेड के पीडियाट्रिक बेड (पीआईसीयू) बनाने के निर्देश दिये हैं। यह बेड विशेषकर एक महीने से ऊपर के बच्चों के लिए होंगे। इनका साइज छोटा होगा और साइडों में रेलिंग लगी होगी। गंभीर संक्रमित बच्चों को इसी पर इलाज और ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
सूबे में बच्चों के इलाज में कोई कमी न आए इसके लिए सभी जिलों को अलटर् मोड पर रहने के लिये कहा गया है। इसके तहत ही मुख्यमंत्री अधिकारियों को बच्चों के इन अस्पतालों के लिए मैन पावर बढ़ाने के भी आदेश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जरूरत पड़े तो इसके लिए एक्स सर्विसमैन, रिटायर लोगों की सेवाएं ली जाएं। मेडिकल की शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को ट्रेनिंग देकर उनसे फोन की सेवाएं ले सकते हैं। लखनऊ में डफरिन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से तत्काल सभी बड़े शहरों में 50 से 100 पीडियाट्रिक बेड बनाने के निर्णय को बच्चों के इलाज में कारगर बताया है। उन्होंने बताया कि एक महीने से ऊपर के बच्चों के लिए पीआईसीयू (पेडरिएटिक इनटेन्सिव केयर यूनिट), एक महीने के नीचे के बच्चों के उपचार के लिये एनआईसीयू (नियोनेटल इनटेन्सिव केयर यूनिट) और महिला अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के लिये एसएनसीयू (ए सिक न्यू बार्न केयर यूनिट) बेड होते हैं। जिनमें बच्चों को तत्काल इलाज देने की सभी सुविधाएं होती हैं।
बच्चों के इलाज को लेकर यूपी के इस मॉडल का खबर अखबारों में छपी। जिसका बॉम्बे हाईकोटर् के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने संज्ञान लिया। बीते दिनों इन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने कहा कि यूपी में कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को खतरा होने की आशंका के चलते एक अस्पताल सिफर् बच्चों के लिए आरक्षित रखा गया है। महाराष्ट्र सरकार यहां ऐसा करने पर विचार क्यों नहीं करती। महाराष्ट्र में दस साल की उम्र के दस हजार बच्चे कोरोना का शिकार हुए हैं।