विधानसभा सत्र के बाद नॉन परफार्मिंग मंत्रियों को योगी कर सकते हैं कैबिनेट से बाहर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Dec, 2017 04:00 PM

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यूपी के सीएम आदित्यनाथ भी पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यशैली की नकल करते दिख रहे हैं। योगी ने भी अपने सभी मंत्रियों के काम का आंकड़ा रखना शुरू कर दिया है। इससे यह बात तो तय हो गई है कि यूपी के विकास मेें जो भी मंत्री नॉन परफार्मिंग मोड में दिखेगा उसे...

लखनऊ, आशीष पाण्डेय: यूपी के सीएम आदित्यनाथ भी पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यशैली की नकल करते दिख रहे हैं। योगी ने भी अपने सभी मंत्रियों के काम का आंकड़ा रखना शुरू कर दिया है। इससे यह बात तो तय हो गई है कि यूपी के विकास मेें जो भी मंत्री नॉन परफार्मिंग मोड में दिखेगा उसे कैबिनेट से बाहर का रास्ता देखने को तैयार रहना होगा। पार्टी सूत्रों की माने तो बहुत जल्द ही योगी अपने मंत्री मंडल का विस्तार कर सकते हैं। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि इस विस्तार में नॉन परफार्मिंग मंत्रियों को कुर्सी से हटाने पर विचार किया गया है। योगी की इस कवायद से यूपी के मंत्रियों की नींद उड़ गई है। अनुमान है कि मंत्री मंडल विस्तार में नए व युवा विधायकों को जगह मिल सकती है। सबसे अधिक संभावना उन विधायकों को कैबिनेट में जगह मिलने की है जो आरएसएस से जुड़े हुए हैं।

विभागों के विलय की तैयारी
यूपी के कई विभागों को काफी समय से विलय करने की योजना बन रही थी, योगी सरकार ने इस योजना को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है। इसके लिए नीति आयोग की सिफारिश पर भी विचार किया जा रहा। नीति आयोग की अपेक्षा के मुताबिक योगी सरकार ने ब्यूरोक्रेसी को स्मार्ट और जवाबदेह बनाने के लिए एक-दूसरे से जुड़े विभागों क विलय की तैयारी शुरू कर दी है। जाहिर है, विभागों के विलय के बाद अलग-अलग महकमा संभाल रहे मंत्रियों का भी दायित्व बदलेगा। मंत्रिमंडल के फेर बदल में योगी की कसौटी पर खरा न उतरने वाले मंत्रियों की छुट्टी होना तय है। इतना ही नहीं 2019 में निर्धारित लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भी मंत्रियों को दायित्व दिया जा सकता है।
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विधानसभा सत्र के बाद उलट फेर
यूपी में विधानसभा का शीत कालीन सत्र 14 दिसंबर से शुरू हो रहा है। 22 दिसंबर तक इसके समाप्त होने की संभावना है। इस बीच गुजरात के विधानसभा चुनाव का भी परिणाम सामने आ जाएगा। जिसके बाद योगी का पूरा ध्यान सरकार व मंत्रियों के काम काज पर होगा। हालांकि सरकार और संगठन का सारा ध्यान पहले से ही लोकसभा चुनाव पर है। तो ऐसे में अपने कार्य और प्रदर्शन को लेकर सरकार और संगठन दोनों गंभीर हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी 9 महीने पूरानी अपनी सरकार के मंत्रियों की कार्यशैली और क्षमता से पूरी तरह परिचित हो चुके हैं। जिससे उनके कार्य निर्धारण पर फैसला अब सटीक रूप से लिया जा सकता है।

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