Lok Sabha Elections: उत्तर प्रदेश में पहले चरण में BJP की प्रतिष्ठा दांव पर

Edited By Deepika Rajput,Updated: 02 Apr, 2019 03:04 PM

bjp prestige at stake in first phase in uttar pradesh

देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में बीजेपी को अपना किला बचाए रखने के लिए कांग्रेस तथा सपा-बसपा गठबंधन की चुनौती को पार पाना होगा। 7 चरणों में होने वाली चुनाव प्रक्रिया में उत्तर प्रदेेश की भागीदारी...

लखनऊः देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में बीजेपी को अपना किला बचाए रखने के लिए कांग्रेस तथा सपा-बसपा गठबंधन की चुनौती को पार करना होगा। 7 चरणों में होने वाली चुनाव प्रक्रिया में उत्तर प्रदेेश की भागीदारी शुरू से अंत तक है। पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, गौतमबुद्धनगर, बागपत, सहारनपुर, मेरठ, कैराना और बिजनौर में 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। अंजाम की बेहतरी के लिए अच्छे आगाज की चाहत में जुटी बीजेपी, कांग्रेस और गठबंधन के बीच चुनावी महासमर में जोरदार संघर्ष की उम्मीद है। हालांकि, पिछले चुनावों की तरह इस बार भी विकास की बजाय जातीय समीकरणों के हावी रहने के आसार हैं।

PunjabKesari वर्ष 2014 में ‘मोदी लहर’ पर सवार बीजेपी ने इन सभी 8 सीटों पर जीत का परचम लहराया था, लेकिन 2017 में कैराना में हुए उपचुनाव में यह सीट उसके हाथ से निकल गई थी। बीजेपी को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए राज्य में दो धुरंधर विरोधी सपा-बसपा ने मंच साझा किया है जिनकी मुहिम को सफल बनाने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासा प्रभाव रखने वाली राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने हाथ मिलाया है। राज्य की राजनीति में हाशिए पर खड़ी कांग्रेस पहले चरण में कुछ कर गुजरने के लिए कमर कस चुकी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की विशेषता है कि यहां के लोग मतदान में खासी रूचि दिखलाते हैं। पहले चरण की 8 सीटों के अंतर्गत 40 विधानसभा सीटों में से 33 पर बीजेपी का कब्जा है जबकि 3 पर सपा, 2 पर कांग्रेस और बसपा एवं रालोद के खाते में 1-1 सीट है। वर्ष 2014 के चुनाव में सहारनपुर को छोड़कर बीजेपी ने 7 सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की थी।

PunjabKesariराजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सहारनपुर में बीजेपी ने 65 हजार वोटों के अंतर से पर जीत हासिल की थी। मौजूदा सांसद राघव लखनपाल इस बार भी बीजेपी प्रत्याशी है, जबकि कांग्रेस ने पिछली बार दूसरे स्थान पर रहे इमरान मसूद को फिर से मैदान में उतारा है। वहीं गठबंधन की तरफ से बसपा प्रत्याशी फजलुर्र रहमान कुरैशी मैदान में हैं। कैराना में उपचुनाव में करारी शिकस्त झेलने वाली पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह पर बीजेपी ने भरोसा नहीं जताते हुए प्रदीप चौधरी को टिकट थमाया है, जबकि उपचुनाव में बीजेपी को घुटनों पर लाने वाली रालोद की तबस्सुम हसन गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखने की भरपूर कोशिश करेंगी। कांग्रेस ने जाट नेता हरेंद्र मलिक को अपना प्रत्याशी बनाया है। 

PunjabKesariबिजनौर सीट पर भी रोमांचक मुकाबला होने जा रहा है। बीजेपी ने एक बार फिर अपने सांसद भारतेंद्र पर भरोसा जताया है, जबकी दूसरी ओर से बसपा ने पुराने उम्मीदवार मलूक नागर को टिकट दिया है। कांग्रेस ने यहां से नसीमुद्दीन सिद्दीकी को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। जाटलैंड की उपमा से नवाजे जाने वाला बागपत चौधरी चरण सिंह के समय से ही उनके परिवार अभेद्य किला रहा है। यहां मुकाबला इसलिए दिलचस्प है क्योंकि इस बार यहां से अजित सिंह की जगह उनके बेटे जयंत चौधरी चुनाव मैदान में हैं। अजित इस बार मुजफ्फरनगर से चुनावी मैदान में उतरेंगे। अगर 2014 के चुनाव को छोड़ दे तो यहां रालोद के अलावा यहां किसी अन्य दल के जीत हासिल करना टेढ़ी खीर साबित हुआ है।

PunjabKesariगौतमबुद्धनगर में 2014 के लोकसभा चुनाव में विजय पताका लहराने वाली बीजेपी ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी अपना दबदबा बनाए रखा और पांचों विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की थी। बीजेपी ने एक बार फिर अपने सांसद महेश शर्मा पर भरोसा जताया है, वहीं कांग्रेस ने अरविंद सिंह को टिकट दिया है। सतवीर नागर सपा-बसपा गठबंधन की ओर से अपने प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती देंगे। कुल मिलाकर यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है। गाजियाबाद सीट से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री वीके सिंह को फिर से टिकट दिया है। सपा-बसपा गठबंधन की ओर से सुरेश बंसल चुनाव मैदान में हैं, वहीं कांग्रेस ने डॉली शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर है।

PunjabKesariमुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर भी हर एक की निगाहें टिकी हुई हैं। बीजेपी ने इस सीट पर मौजूदा सांसद संजीव बालियान पर फिर से भरोसा जताया है। अब उनका सीधा मुकाबला गठबंधन प्रत्याशी एवं रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह से होगा। वर्ष 2013 के दंगों के बाद यह सीट हमेशा से ही सुर्खियों में रही है। इस सीट पर जाट और मुस्लिम वोटर हमेशा से निर्णायक भूमिका में रहे हैं। मेरठ सीट पर पिछले दो दशकों से बीजेपी का कब्जा है। पिछले चुनाव में बीजेपी के राजेन्द्र अग्रवाल यहां से लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए थे। इस बार उन्हें गठबंधन के बसपा प्रत्याशी हाजी मो. याकूब और कांग्रेस के हरेन्द्र अग्रवाल से तगड़ी चुनौेती मिलने के आसार हैं।

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