Edited By Anil Kapoor,Updated: 02 Oct, 2018 12:32 PM
बीमार पत्नी की जान बचाने के लिए अस्पतालों के चक्कर काट रहा मथुरा का फिरोज खान गरीबी का मारा है। उसकी पत्नी रूबी बानो को 7 दिन के भीतर 12 अस्पतालों में भर्ती कराया गया। सभी कुछ समय इलाज कर लंबा-चौड़ा बिल बनाते और....
मथुरा: बीमार पत्नी की जान बचाने के लिए अस्पतालों के चक्कर काट रहा मथुरा का फिरोज खान गरीबी का मारा है। उसकी पत्नी रूबी बानो को 7 दिन के भीतर 12 अस्पतालों में भर्ती कराया गया। सभी कुछ समय इलाज कर लंबा-चौड़ा बिल बनाते और रैफर का बिल का पर्चा परिवार वालों को थमा देते। फिरोज खान के पास जो जमा पूंजी थी, वह अब तक चले इलाज पर खर्च हो गई, ऊपर से 5 लाख रुपए से ज्यादा का कर्ज हो गया। रविवार को जिला महिला अस्पताल में भर्ती उसकी पत्नी की तबीयत फिर बिगड़ गई। फिरोज के मुताबिक जब उसने मथुरा के भाजपा मेयर डॉ. मुकेश आर्य बंधु से पत्नी के इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई तो उन्होंने यह कह दिया कि बच्चे पैदा कर रहा है तू, खर्चा शासन दे। मेयर की बेतुकी बात सुन कर लाचार फिरोज खामोश रह गया।
ऑप्रेशन के बाद बिगड़ी तबीयत
मथुरा के देव नगर निवासी फिरोज खान मजदूरी करता है। पत्नी रूबी बानो परिवार के भरण-पोषण में उसकी मदद करती थी लेकिन अब उसकी हालत इतनी गंभीर है कि उठ भी नहीं पा रही। मुंह-नाक से खून आ रहा है। किडनी ने काम करना बंद कर दिया है।
24 सितम्बर को जिला चिकित्सालय में हुआ था रूबी का आप्रेशन
फिरोज खान ने बताया कि रूबी एक दम तंदुरुस्त थी। 24 सितम्बर को जिला महिला अस्पताल में आप्रेशन से उसने बच्ची को जन्म दिया। उसी दिन से रूबी की जान संकट में आ गई। 25 वर्षीय रूबी बानो को वह मथुरा, फिर जयपुर, आगरा, अलीगढ़ और अब दिल्ली के अस्पतालों में दिखा चुका है। पैसे न होने के कारण उसने पत्नी को वापस जिला महिला अस्पताल में भर्ती करा दिया। अचानक रूबी की तबीयत बिगड़ गई। उसके नाक और मुंह से खून आने लगा। उसने अस्पताल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया।
खून को पोंछने के लिए कॉटन तक नहीं था अस्पताल में
जब महिला के नाक से खून आ रहा था तो उसे पोंछने के लिए कॉटन तक अस्पताल में नहीं था। स्टाफ नर्स पॉलिथीन से खून को पोंछती दिखी। बाद में कॉटन मंगाया गया। जब पीड़िता को ले जाने की बारी आई तो स्ट्रेचर भी काफी देर बाद आ सका। परिजनों ने अस्पताल में पीड़िता का आप्रेशन करने वाली डॉ. ऋचा पर लापरवाही करने का आरोप लगाया। परिजनों ने साफ कहा कि पूर्व में कराई गई जांचों में ऐसी कोई बीमारी सामने नहीं है। 24 सितम्बर को हुए आप्रेशन के बाद ही लीवर-फेफड़ों में यह परेशानी बताई जा रही है। इस संबंध में सी.एम.एस. डॉ. बसंत लाल ने कहा कि आप्रेशन तो सफल हुआ था, आज उसे सीरियस हालत में यहां लाया गया था। परिजनों को रैफर करने की बात बोली थी लेकिन वे न ले जाने की बात पर अड़े रहे। बाद में समझा-बुझाकर पीड़िता को एम्स भेज दिया गया है।
रालोद ने दिया ज्ञापन
जिला अस्पताल में बरती जा रही घोर लापरवाही और सरकारी चिकित्सकों के प्राइवेट प्रैक्टिस करने की शिकायत करते हुए राष्ट्रीय लोकदल के जिलाध्यक्ष कुंवर नरेंद्र सिंह, संयोजक तारचंद गोस्वामी कार्यकर्ताओं के साथ सुबह कलैक्ट्रेट पहुंचे और नारेबाजी करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार और ए.डी.एम. रविंद्र कुमार को ज्ञापन सौंपा।