Edited By Ruby,Updated: 12 Jun, 2018 07:09 PM
सहारनपुर में दलितों के कथित उत्पीडऩ के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाला संगठन ‘भीम आर्मी‘ भले ही खुद को सामाजिक उत्थान के प्रति पूरी तरह सर्मिपत बताता हो, लेकिन वह देश के विभिन्न हिस्सों में अपना विस्तार कर रहा है और उसकी मंशा आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा...
लखनऊः सहारनपुर में दलितों के कथित उत्पीडऩ के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाला संगठन ‘भीम आर्मी‘ भले ही खुद को सामाजिक उत्थान के प्रति पूरी तरह सर्मिपत बताता हो, लेकिन वह देश के विभिन्न हिस्सों में अपना विस्तार कर रहा है और उसकी मंशा आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को सबक सिखाना है।
भीम आर्मी के राष्ट्रीय संयोजक विनय रतन सिंह ने बताया ‘‘हम कोई राजनीतिक दल नहीं हैं लेकिन बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के अनुयायी जरूर हैं। हम भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ हैं, क्योंकि ये दोनों ही साम्प्रदायिक राजनीति कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा और संघ ने जातिवाद और साम्प्रदायिकता को मजबूती दी है। इससे समाज में वर्चस्व की लड़ाई तेज हो गई है। आगामी लोकसभा चुनाव में भीम आर्मी इन दोनों साम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ जनजागरण करेंगे और उन्हें परास्त करने की क्षमता रखने वाले दलों के पक्ष में वोट की अपील करेंगे। सिंह ने कहा कि अपील व्यक्तिगत स्तर पर की जाएंगी। इसे भीम आर्मी के सियासत में उतरने के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
उन्होंने दावा किया कि चंद्रशेखर आजाद की गिरफ्तारी के बाद भीम आर्मी की लोकप्रियता में चैतरफा बढ़ोत्तरी हुई है और इस वक्त देश के लगभग हर राज्य में इसकी मौजूदगी कायम हो चुकी है। हम शिक्षा, स्वास्थ्य तथा समाज से जुड़े उन अन्य क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जिन पर राजनीतिक पार्टियां अक्सर ध्यान नहीं देतीं।