रामनगरी अयोध्या में भक्ति विभोर योगी, कहा- जय राम सदा सुख धाम हरे

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 04 Aug, 2020 08:15 AM

bhakti vibhor yogi in ramnagri ayodhya said jai ram

मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की जन्म स्थली अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण के लिये पांच अगस्त को होने वाले भूमि पूजन को लेकर देश में आस्था का ज्वार हिलोरें मार रही हैं। वहीं

अयोध्याः  मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की जन्म स्थली अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण के लिये पांच अगस्त को होने वाले भूमि पूजन को लेकर देश में आस्था का ज्वार हिलोरें मार रही हैं। वहीं सोमवार को रघुकुल की नगरी में तैयारियों की जायजा लेने पहुंचे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामभक्ति के अथाह समंदर में गोते लगाते नजर आये।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हेलीकाॉप्टर उतरने के स्थान साकेत डिग्री काॉलेज से लेकर कार्यक्रम स्थल श्रीरामजन्मभूमि तक के चप्पे चप्पे का बारीकी से निरीक्षण किया और हनुमानगढ़ी के साथ राम लला के दर्शन किये। बाद में एक के बाद एक कई ट्वीट कर उन्होने भगवान श्रीराम के प्रति हृदय में आस्था के ज्वार को दोहों और चौपाइयों में व्यक्त किया।

उन्होंने कहा दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज एवं गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का सपना साकार होने का समय आ गया है। उन्होने लिखा ‘‘ भाद्रपद कृष्ण पक्ष द्वितीया, विक्रम संवत 2077, तद्नुसार 05 अगस्त 2020 को श्रीअयोध्या जी में आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कर-कमलों द्वारा श्री राम मंदिर का भूमिपूजन होगा।'' बंदउँ अवध पुरी अति पावनि। सरजू सरि कलि कलुष नसावनि।।

इसके साथ ही उन्होंने लिखा धर्मनगरी श्री अयोध्या जी में आज मां सरयू का दर्शन-पूजन कर शाश्वत सनातन संस्कृति के उत्कर्ष हेतु आशीर्वाद मांगा।सरयू नदी के दर्शन की फोटो पोस्ट करते हुये उन्होने लिखा ‘‘ पुण्यसलिला माँ सरयू सभी को अपनी कृपा से अभिसिंचित रखें।
सरयू मइया की जय।
जय राम सदा सुख धाम हरे।

रघुनायक सायक चाप धरे।।

भव बारन दारन सिंह प्रभो।

गुन सागर नागर नाथ बिभो।

योगी ने ट्वीट किया ‘‘ श्रीअयोध्या जी में श्रीरामलला विराजमान के दर्शन कर लोकमंगल के लिये प्रार्थना की। प्रभु श्री राम के आशीर्वाद से सभी श्रद्धालुओं के दैहिक, दैविक और भौतिक तापों का अंत होगा। जय सिया राम।       संस्कृत में ट्वीट करते हुये मुख्यमंत्री ने लिखा ‘‘ संस्कृतं भारतस्य आत्मा। एषा भाषा न केवलं भारतीय-भाषाणां पोषिका अपितु अस्माकं संस्कृते: सभ्यताया: मार्ग-दर्शिका मानवीय-मूल्यानाम् आदर्शाणाम् सुसंस्काराणां संदर्शिका अथ च अपूर्वस्य ज्ञान-विज्ञानस्य संधानिका वर्तते। शुभस्य संस्कृत-दिवसस्य शुभाशया जयतु संस्कृतं जयतु भारतम्!

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