Edited By Umakant yadav,Updated: 06 Nov, 2021 02:10 PM
भाई दूज के दिन कानपुर जिला कारागार में सारी बंदिशों को तोड़कर बहनो को उनके भाइयो से मिलवाया गया। जेल के भीतर भाई के माथे पर तिलक लगाकर बहनो ने भाई दूज का पर्व मनाया। अपने भाइयो से मिलने के लिए बहने सुबह से ही जिला कारागार पहुँच गयी थी। बहनो की भारी...
कानपुर: भाई दूज के दिन कानपुर जिला कारागार में सारी बंदिशों को तोड़कर बहनो को उनके भाइयो से मिलवाया गया। जेल के भीतर भाई के माथे पर तिलक लगाकर बहनो ने भाई दूज का पर्व मनाया। अपने भाइयो से मिलने के लिए बहने सुबह से ही जिला कारागार पहुँच गयी थी। बहनो की भारी भीड़ को देखते हुए जेल अधीक्षक की तरफ से ख़ास व्यवस्था की गयी।
बता दे कि दीपावली के साथ ही भाई-बहन के पावन प्रेम का प्रतीक भाई दूज का अपना विशेष महत्व है। बहनें इस पर्व पर भाई की मंगल कामना कर अपने को धन्य मानती हैं। उत्तर और मध्य भारत में यह पर्व मातृ द्वितीया भैया दूज के नाम से जाना जाता है। इस पर्व पर बहनें प्रायः गोबर से मांडना बनाती हैं, उसमें चावल और हल्दी से चित्र बनाती हैं तथा सुपारी फल, पान, रोली, धूप, मिष्ठान आदि रखती हैं, दीप जलाती हैं। इस दिन यम द्वितीया की कथा भी सुनी जाती है।
क्यों मनाया जाता है भाई दूज?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की दो संताने थीं, यमराज और यमुना दोनों में बहुत प्रेम था। बहन यमुना हमेशा चाहती थीं कि यमराज उनके घर भोजन करने आया करें। लेकिन यमराज उनकी विनती को टाल देते थे। एक बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर यमराज उनके घर पहुंचे। यमुना अपने घर के दरवाजे पर भाई को देखकर बहुत खुश हुईं। इसके बाद यमुना ने मन से भाई यमराज को भोजन करवाया।
बहन का स्नेह देखकर यमदेव ने उनसे वरदान मांगने को कहा। इसपर उन्होंने यमराज से वचन मांगा कि वो हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भोजन करने आएं। साथ ही मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर-सत्कार के साथ टीका करें, उनमें यमराज का भय न हो। तब यमराज ने बहन को यह वरदान देते हुआ कहा कि आगे से ऐसा ही होगा। तब से यही परंपरा चली आ रही है। इसलिए भैयादूज वाले दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है।