बेजुबान जानवरों को ऐसे दी गई मौत, जानिए आखिर क्या था इनका कसूर?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jan, 2018 05:27 PM

bereft animals given to the death

औद्योगिक नगरी कानपुर में शनिवार को 6 बेजुबान जनवरों को मौत की नींद सुला दिया गया। वहीं अपने जानवरों को मरता देख मालिक भी खुद को रोक नहीं पाए और फूट-फूटकर रोने लगे। ऐसा दृश्य देख वहां मौजूद लोगों की भी आंखें नम हो गईं...

कानपुर: औद्योगिक नगरी कानपुर में शनिवार को 6 बेजुबान जानवरों को मौत की नींद सुला दिया गया। वहीं अपने जानवरों को मरता देख मालिक भी खुद को रोक नहीं पाए और रोने लगे। ऐसा दृश्य देख वहां मौजूद लोगों की भी आंखें नम हो गईं।

जानकारी के मुताबिक कानपुर देहात के सिकंदरा इलाके में शुक्रवार को जिला प्रशासन ने 2 घोड़े और 8 खच्चरों को मौत देने का एलान किया था। जिसके बाद कागजी कार्रवाई को पूरा करते हुए 2 घोड़ों और 4 खच्चरों को शनिवार दोपहर इंजेक्शन लगाकर मौत की नींद सुला दिया गया।

क्या कहना है मुख्य पशु डॉ. का?
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. के.एस यादव ने बताया कि इन जानवरों में फार्सी (ग्लैंडर्स) नाम की बीमारी के लक्षण पाए गए थे। इस बीमारी के इंसानों में फैल जाने की बात भी कई जगह से सामने आ चुकी है। इसके चलते हमें ऐसे कदम उठाने के निर्देश मिले थे। यूपी के सभी जिलों में घोड़ों और खच्चरों का परीक्षण कराने के लिए पिछले साल नवंबर में जांच के लिए 219 घोड़े और खच्चर के ब्लड सैंपल हरियाणा के सिरसा स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र भेजे गए थे।

10 जानवरों में मिले ग्लैंडर्स के लक्षण
उन्होंने बताया कि रिर्पोट आने के बाद हमें पता चला कि यहां के 10 जानवरों में ग्लैंडर्स के लक्षण मौजूद हैं। जिसके बाद फिर से ब्लड सैंपल लेकर अनुसंधान केंद्र भेजा गया और क्रॉस चेक कराया गया। जब दोबारा रिर्पोट में पोजिटिव लक्षण मिले तो पशु चिकित्सा विभाग ने इन 10 जानवरों को मौत देने के लिए जिलाधिकारी से अनुमति मांगी, क्योंकि इसका इलाज हमारे देश में नहीं है। इन जानवरों को मौत देने के लिए इंजेक्शन का इस्तेमाल किया गया।

जानिए, क्या है ये बीमारी
ग्लैंडर्स बरखेलडेरिया मेलिआई जीवाणु जनित रोग है। ये घोड़ों के बाद मनुष्यों, स्तनधारी पशुओं में पहुंचता है। इस बीमारी की वजह से पूरे शरीर में गांठें होने लगती हैं। नाक और मुंह से लगातार पानी बहता रहता है और धीरे-धीरे ये गांठें जानलेवा बन जाती हैं। सबसे खतरनाक बात ये है कि इस रोगी के सम्पर्क में आने वाला हर जानवर और यहां तक कि इंसान भी इसका शिकार बन जाता है।

प्रशासन द्वारा दिया जाएगा मुआवजा
लोगों का मानना है कि मानवहित में इन जानवरों को मौत की सजा देना प्रशासन द्वारा ठीक कदम था, लेकिन इन जानवरों के मालिक की बात की जाए तो उनके लिए ये जानवर रोजी-रोटी का सहारा थे और परिवार के सदस्य की तरह थे। वहीं जिला प्रशासन द्वारा इन जानवरों के मालिक को मुआवजा देने की बात कही जा रही है। 


 

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