Edited By Ruby,Updated: 24 Jul, 2018 12:50 PM
''पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने सपनों को, उनके किस्मत के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते।'' किसी ने ठीक कहा है कि मेहनत ही सफलता की पूंजी होती है और आप अपनी मेहनत से असंभव को भी संभव बना सकते हैं। कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है बलिया के सैंड...
बलियाः 'पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने सपनों को, उनके किस्मत के पन्ने कभी कोरे नहीं हुआ करते।' किसी ने ठीक कहा है कि मेहनत ही सफलता की पूंजी होती है और आप अपनी मेहनत से असंभव को भी संभव बना सकते हैं। कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है बलिया के सैंड आर्टिस्ट रुपेश सिंह ने।
दरअसल अविश्वाश प्रस्ताव के दौरान संसद भवन में राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को गले लगाने और आंखों के ज़रिए किए गए इशारे देश में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बने। ऐसे में बलिया के सैंड आर्टिस्ट ने रेत के जरिए कलाकृति बना कर पूरी घटना को जीवंत कर दिया। रुपेश के इस हुनर को देखकर हर कोई हैरान है।
बता दें कि रुपेश बेहद ही गरीब परिवार से हैं। आर्थिक तंगी से जूझते रुपेश ने कभी हार नहीं मानी और अपनी कला के ज़रिए नई-नई कलाकृतियों को बनाकर अपने हुनर का प्रदर्शन करते रहते हैं। काशी विद्यापीठ से फाइनआर्ट कर रहे रुपेश रेत से दुनिया की सबसे बड़ी कलाकृति बनाकर विश्व रिकार्ड बनाना चाहते हैं। रुपेश का कहना है कि अगर सरकार उन्हें आर्थिक मदद करे तो वो दुनिया के सामने भारत का नाम रौशन करेंगे।
रुपेश की काबिलीयत और हुनर देखकर गांव वाले भी खुश हैं। ग्रामीणों को रुपेश की कला पर गर्व है क्योंकि मुट्ठियों से सरक जाने वाली रेत को चुटकियों से कलाकृति में बदलने का हुनर रुपेश की काबिलियत को साबित करता है।