ऐतिहासिक बलिदान दिवस पर बलिया को मिली 2 बड़ी सौगात, मेडिकल कॉलेज व स्वतंत्रता सेनानी स्मारक बनाने का ऐलान

Edited By Imran,Updated: 19 Aug, 2022 05:08 PM

ballia got 2 big gifts on the historic sacrifice day

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को बलिया के ऐतिहासिक बलिदान दिवस के अवसर पर दो बड़ी सौगातों की घोषणा की। उन्होंने बलिया में मेडिकल कॉलेज की स्थापना और जिला कारागार को बाहरी हिस्से में विस्थापित कर वर्तमान जिला जेल को स्वतंत्रता...

बलिया: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को बलिया के ऐतिहासिक बलिदान दिवस के अवसर पर दो बड़ी सौगातों की घोषणा की। उन्होंने बलिया में मेडिकल कॉलेज की स्थापना और जिला कारागार को बाहरी हिस्से में विस्थापित कर वर्तमान जिला जेल को स्वतंत्रता सेनानियों का स्मारक बनाने की घोषणा की।

बलिया बलिदान दिवस के अवसर पर आज यहां पुलिस लाइन में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच साल से मेडिकल कॉलेज के जमीन मांग रहा हूं लेकिन मिल नहीं रही है। तीन साल पहले ही यह काम हो जाना चाहिए था। जिले में मेडिकल कॉलेज के लिए प्रतिबद्धता दर्शाते हुए सीएम योगी ने कहा कि मुख्य सचिव यहीं बलिया में पढ़े-बढ़े हैं। आज इसी काम के लिए उन्हें साथ लेकर आया हूं। आज मेडिकल कॉलेज की सौगात देकर जाऊंगा। मुख्यमंत्री नें कहा कि बलिया जिला कारागार को नगर के बाहर विस्थापित करा वर्तमान जिला कारागार के स्थान पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का स्मारक बनाया जाएगा ।      

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिए गए पांच संकल्प को पूरा करने पर विशेष रूप से जोर दिया है । उन्होंने कहा‘ प्रधानमंत्री जी ने 15 अगस्त के दिन देश के नागरिकों को पांच संकल्प दिलाएं हैं, जिसके अनुसार हर व्यक्ति अपने कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ेगा तो निश्चित रूप से ही भारत दुनिया की महाशक्ति बनेगा। आने वाले समय मे भारत दुनिया का नेतृत्वकर्ता होगा।‘ उन्होंने इसके साथ ही कहा कि आज बिना भेदभाव के सबको योजनाओं का लाभ मिल रहा है। हर गरीब को आवास, शौचालय व राशन सहित लाभकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है।  उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में बलिया के गौरवपूर्ण इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में जब पूरा देश जुटा है, इस अवसर पर मुझे बलिया के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े ऐतिहासिक बलिदान दिवस पर आने का सुअवसर मिला है। बलिया का अपना इतिहास है। कहा जाता है बलिया के लिए अनुशासन का कोई महत्व नहीं होता लेकिन आजादी के बाद देश के विकास के लिए जिस अनुशासन की आवश्यकता थी, वह बलिया ने दिखाया है। गुलामी के समय जो तेवर दिखाया जाना था, उसको बलिया ने दिखाया। जरूरत पड़ने पर मंगल पांडेय ने बैरकपुर छावनी में स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी जलाई। यह लड़ाई लगातार चलती रही। महात्मा गांधी ने जब अंग्रेजी छोड़ो भारत का नारा दिया था, तब महान सेनानी चित्तू पांडे ने अपनी भूमिका का निर्वहन बखूबी किया। 1942 में बलिया ने अपने आप को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया था। चित्तू पांडेय कलेक्टर तथा महानंद मिश्र पुलिस कप्तान बन गए थे। यहां के लोगों ने हल, कुदाल व फावड़ा आदि से ही लड़ाई लड़ी थी। यहां के लोगों का त्याग बलिया को नई पहचान देता है ।      

उन्होंने कहा कि गंगा नदी व सरयू नदी के संगम पर स्थित बलिया पौराणिक व पवित्र स्थल का प्रतीक है। इस स्थान की पवित्रता क्रांति के रूप में झलकती है। उन्होंने इमरजेंसी के दिनों को याद दिलाते हुए कहा कि इमरजेंसी के दौरान बलिया ने अग्रणी भूमिका निभाई। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में एक आम आदमी के मौलिक अधिकारों, उसकी सुरक्षा व स्वावलंबन के लिए आंदोलन चला। इस आंदोलन में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का योगदान अविस्मरणीय रहा।  इस मौके पर परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी , सांसद त्रय वीरेन्द्र सिंह मस्त , नीरज शेखर व रवींद्र कुशवाहा मौजूद रहे।

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